नुसरत भरूचा ने महाकाल दर्शन से आग बबूला हुए मौलाना, जारी कर दिया फतवा
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री नुसरत भरूचा ने हाल ही में मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की यात्रा की। पुत्रदा एकादशी के पवित्र अवसर पर उन्होंने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया और मंदिर की विशेष भस्म आरती में भाग लिया। यह उनकी महाकाल के दरबार में दूसरी यात्रा थी, जहां वे पूरी भक्ति भावना के साथ नजर आईं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी गैर-इस्लामी धार्मिक स्थल जैसे मंदिर में जाकर जल चढ़ाना, पूजा-अर्चना या भक्ति करना पूरी तरह नाजायज और हराम है।
इस्लाम की शिक्षाओं का उल्लंघन
मौलाना रजवी ने जोर देकर बताया कि इस्लाम किसी भी मंदिर या अन्य धर्म के पूजा स्थल में जाकर इबादत करने की अनुमति बिल्कुल नहीं देता। ऐसे कार्य शरीयत की नजर में गंभीर अपराध हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई मुस्लिम ऐसा करता है, तो उसे फौरन तौबा (पश्चाताप) करना चाहिए, अल्लाह से दिल से माफी मांगनी चाहिए और कलमा पढ़कर अपनी गलती सुधारनी चाहिए।
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शरीयत के खिलाफ न जाएं
मौलाना ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे अपनी धार्मिक सीमाओं का पूरा सम्मान करें और शरीयत के नियमों का पालन करें। उनका कहना है कि इस्लाम में केवल अल्लाह की इबादत ही जायज है, और अन्य धर्मों की पूजा पद्धतियों में शामिल होना सख्त मना है।
भक्ति में लीन दिखीं अभिनेत्री
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में आयोजित भस्म आरती के दौरान नुसरत नंदी हॉल में बैठकर शिव भक्ति में डूबी रहीं। आरती के बाद मंदिर के पुजारियों ने उन्हें विशेष प्रसाद के रूप में महाकाल चिन्हित दुपट्टा भेंट किया, जिसे प्राप्त कर वे बेहद खुश और भावुक नजर आईं। दर्शन के बाद उन्होंने मंदिर प्रबंधन की व्यवस्थाओं की खुलकर प्रशंसा की।
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मंदिर व्यवस्था पर जताई खुशी
नुसरत ने बताया कि भारी भीड़ के बावजूद दर्शन प्रक्रिया बहुत सुव्यवस्थित और सुगम थी। विशेष रूप से उन्होंने जल अर्पित करने की पाइप व्यवस्था को सराहा, जिसमें भक्त बिना लाइन लगे सीधे ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ा सकते हैं। अभिनेत्री ने कहा कि बाबा महाकाल के दर्शन से उन्हें गहरी शांति, सकारात्मक ऊर्जा और नई ताकत मिलती है। उन्होंने इच्छा जताई कि वे हर वर्ष यहां आकर दर्शन कर सकें।
यह यात्रा नुसरत की आध्यात्मिक झुकाव को दर्शाती है, जहां वे विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाकर शांति की तलाश करती नजर आती हैं। मंदिर समिति ने भी उनका हार्दिक स्वागत किया और श्रद्धालुओं के साथ उन्हें विशेष सम्मान दिया।
