UP: किताबों की डॉक्टर बनकर जीवनदान दे रहीं सनम अली खान
रामपुर, अमृत विचार। नवाब खानदान से ताल्लुक रखने वाली सनम अली खान सदियों पुरानी किताबों व पेटिंग की डॉक्टर बनकर उनको जीवनदान दे रहीं हैं। जिन किताबों को हम छू नहीं सकते उन किताबों को वो लाइब्रेरी में रखने और पढ़ने लायक बना रहीं हैं। पिछले 25 सालों में रज़ा लाइब्रेरी की 20 हजार से ज्यादा किताबों को जीवनदान दे चुकी हैं।
किताबें बोलती हैं, ये बात सच है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत संचालित रजा लाइब्रेरी में रखीं पिछले कई दशकों पुरानी और नवाबों के समय की किताबों को पढ़ेंगे तो ये एहसास हो जाएगा। इन सदियों पुरानी किताबों को सहेजने के लिए विशेषज्ञ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसमें एक नाम आता है रामपुर के नवाब हामिद अली खान की नवासी सनम अली खान का। वो नवाब हामिद अली खान की छोटी बेटी साहिबजादी कुलसुम की पोती हैं और साहिबजादा जाफर अली खान की बेटी हैं।
चार बहन भाइयों में सबसे छोटी सनम अली खान की स्कूलिंग केंद्रीय विद्यालय सीआरपीएफ से हुई है, जबकि स्नातक की पढ़ाई राजकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज रामपुर से हुई है। इसके बाद वो रजा लाइब्रेरी में किताबों की देखरेख के लिए स्थापित लैब में ट्रेनिंग लेने लगीं। करीब 18 महीने ट्रेनिंग लेने के बाद सनम अली खान दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय चली गईं। वहां से शिक्षा लेने के बाद फेलोशिप लेकर लंदन विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में शिक्षा ली। छह महीने के इस प्रशिक्षण के बाद वो वापस रामपुर आ गईं।
हालांकि उन्हें इसके बाद स्पेन जाने के लिए भी फेलोशिप मिली, लेकिन वो स्पेनिश भाषा पर पकड़ न होने के चलते इसे जा नहीं सकी। इसके बाद 2001 से रजा लाइब्रेरी में 60 हजार किताबों और महत्वपूर्ण पेंटिंग की संरक्षक के तौर पर कार्य कर रहीं हैं। कांट्रेक्ट पर वो पुरानी और बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुकी किताबों को संरक्षित करने का काम करने लगीं। पिछले 25 सालों में वो और रजा लाइब्रेरी के स्टाफ के साथ मिलकर 20 हजार से ज्यादा किताबों को जीवनदान दे चुकी हैं। सीनियर टेक्निकल रेस्टोरेट सैयद तारिक अजहर के साथ मिलकर किताबों को संरक्षित किया।
दीवाने हाफिज किताब सबसे यादगार किताब
सनम अली खान ने बताया कि वैसे तो सभी किताबें हमारे लिए महत्वपूर्ण है। 20 हजार से ज्यादा किताबों को संरक्षित किया, लेकिन दीवाने हाफिज बेहद अहम किताब रही, जिसे हमने संरक्षित किया। कश्मीरी पेज पर अकबर के लिए 13वीं सदी की शायरी इस किताब में है। इसमें 11 पेटिंग इसे खास बनाती हैं और यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज घोषित की है। सन् 1575 की इस किताब में ईरानी शायर हाफिज शमसुद्दीन शिराजी के कलाम मौजूद हैं।
बचपन में ठाना ऐतिहासिक चीजों को सहेजना होगी चुनौती
उन्होंने बताया कि बचपन में जब किताबों, ऐतिहासिक फर्नीचर और अन्य यूनिक आइटम देखती थी तो मन में आता था कि एक समय में ये खराब हो जाएंगी। क्योंकि हमारे बुजुर्गों की दी गई ये बेशकीमती किताबें और अन्य चीजों को संभालना बेहद जरूरी है। इसकी पहल करते हुए कदम बढ़ाए और 25 सालों से इसकी सेवाएं दे रहीं हैं। उन्होंने बताया कि रजा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्रा ने इस पहल को मजबूती दी। ज्यादा पुरानी किताबों और पेंटिंग्स को पहले संरक्षित करने की पहल की गई। जिससे उन्हें और पूरी टीम को हौसला मिला।
रफत जमानी बेगम ने रखे थे चारों के नाम
सनम अली खान ने बताया कि उनके बड़े भाई सलमान अली खान, बड़ी बहन समीना अली खान और शहरूद अली खान हैं। खास बात है चारों बहन भाइयों के नाम रामपुर रियासत के आखिरी नवाब रहे रजा अली खान की पत्नी बेगम रफत जमानी ने रखे। उन्होंने बताया कि अम्मी 83 वर्षीय साहिबजादी मेहरून्निसा बेगम आज भी उन्हें इतिहास के बारे में बताती हैं। जो एक सपने जैसा लगता है।
रज़ा लाइब्रेरी एवं संग्रहालय निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने बताया कि रजा लाइब्रेरी सौहार्द की मिसाल है, यहां 60 हजार से ज्यादा किताबें हैं जो हमें इतिहास में ले जाने के लिए काफी हैं। इन्हें संजोना हमारा लक्ष्य भी है और हमारा फर्ज भी है। लाइब्रेरी में संचालित लैब में बेहद खराब स्थिति में पहुंची किताबों को संरक्षित करने का काम जारी है। पूरी टीम लगन से इस कार्य को कर रही है, ये कार्य आगे भी जारी रहेगा।
