बरेली: घट स्थापित कर की मां की आराधना

अमृत विचार, बरेली। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के मुताबिक साल में 2 नहीं, बल्कि चार नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा साल में 2 बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं, जो माघ और आषाढ़ के महीने में आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि को …

अमृत विचार, बरेली। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के मुताबिक साल में 2 नहीं, बल्कि चार नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा साल में 2 बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं, जो माघ और आषाढ़ के महीने में आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि को गुप्त इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसे लेकर कई तरह के रहस्य बरकरार हैं।

इस दौरान तंत्र-मंत्र की सिद्धि भी की जाती है। इसके साथ ही इस दौरान मां दुर्गा की पूजा को जितना गुप्त तरीके से किया जाता है, पूजा का फल उतना ही अधिक मिलता है। शुक्रवार को माघ महीने की गुप्त नवरात्र की शुरूआत हुई। मां के भक्तों ने घरों में घट स्थापित कर मां की आराधना की।

माघ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्र इस बार प्रतिपदा शुक्रवार से शुरू हो गई, जो 21 फरवरी तक चलेगी। इस तरह नवरात्र का पर्व 10 दिन मनाया जाएगा। पुराणों की मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गे की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं, जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष। अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन की महीने में मनाई जाती हैं, और अप्रत्यक्ष यानी कि गुप्त आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाती हैं।

माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि का फल हजारों गुना ज्यादा होता है। यह नवरात्रि तंत्र-मंत्र सिद्धि साधना के सर्वश्रेष्ठ लिए मानी जाती है। जिससे इनकी पूजा करने का फल भी कई गुना मिलता है। इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरूआत सूर्य के राशि परिवर्तन और गुरु शुक्र तारा उदय के साथ हो रही है, जो कि बड़ा दुर्लभ संयोग है, यह दुर्लभ संयोग अत्यंत मंगलकारी भी रहेगा।

इसी नवरात्र की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। मां के भक्तों ने सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घट की स्थापना कर मां की अराधना की। मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। कालीबाड़ी मंदिर में मां के दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

ये हैं नवरात्रि की तिथियां और विशिष्ट संयोग

  • 12 फरवरी- प्रतिपदा- गुप्त नवरात्रि प्रारंभ, घट स्थापना, मां शैलपुत्री पूजन
  • 13 फरवरी- द्वितीया- चंद्रदर्शन, मां ब्रह्मचारिणी पूजन
  • 14 फरवरी- गौरी तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा, सर्वार्थसिद्धि सायं 4.23 से दूसरे दिन सूर्योदय तक, रवियोग सायं 4.23 से
  • 15 फरवरी- मां कुष्मांडा पूजन, वरदतिलकुंद चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, रवियोग सूर्योदय से सायं 6.28 तक
  • 16 फरवरी- मां स्कंदमाता पूजन वसंत पंचमी, सरस्वती पूजन, खटवांग जयंती, पंचक प्रारंभ रात्रि 8.55 से
  • 17 फरवरी- —– महापात दोष —– षष्ठी तिथि वृद्धि
  • 18 फरवरी- षष्ठी, मां कात्यायनी पूजन, वसंत ऋतु प्रारंभ
  • 19 फरवरी- मां कालरात्रि पूजन, रथ आरोग्य सप्तमी, नर्मदा जयंती
  • 20 फरवरी- मां महागौरी पूजन, दुर्गा अष्टमी
  • 21 फरवरी- नवमी, मां सिद्धिदात्री पूजन, गुप्त नवरात्रि पूर्ण

ग्रहों की बदल गई स्थिति
पंडित सुनील के अनुसार इस बार गुप्त नवरात्रि में अनेक ग्रहों की स्थितियां बदलेंगी। नवरात्रि के पहले दिन 12 फरवरी को सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे और इसी दिन गुरु पूर्व दिशा में उदय होंगे। दूसरे दिन 13 फरवरी को पूर्व में शुक्र अस्त हो जाएगा। इसके बाद 15 फरवरी को बुध पश्चिम में उदय होगा। इसके बाद 20 फरवरी को शुक्र कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। वहीं, 21 फरवरी नवरात्रि के अंतिम दिन मंगल वृषभ में गोचर करेगा और बुध मार्गी हो जाएगा।

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