नैनीताल: बाल दिवस पर सड़क पर भटकने को मजबूर बचपन

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नैनीताल, अमृत विचार। मुमकिन है हमें गांव भी न पहचान पाए, बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए। एक तरफ आज पूरा देश बाल दिवस मना रहा है। स्कूलों में  बाल दिवस की धूम है। दूसरी तरफ कुछ ऐसे बच्चे भी है जिनके लिए बाल दिवस के कोई मायने ही नहीं है। सरोवर नगरी …

नैनीताल, अमृत विचार। मुमकिन है हमें गांव भी न पहचान पाए, बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए। एक तरफ आज पूरा देश बाल दिवस मना रहा है। स्कूलों में  बाल दिवस की धूम है। दूसरी तरफ कुछ ऐसे बच्चे भी है जिनके लिए बाल दिवस के कोई मायने ही नहीं है।

सरोवर नगरी नैनीताल में कुछ ऐसे बच्चे है जो अपने हाथों से अपने ही उम्र के बच्चो को गुब्बारे बेचते है। जिनका बचपन हाथ में गुब्बारे लिए रोटी की तलाश में सड़को पर भटक रहा है। ये बच्चे खुद गुब्बारों से खेलने की उम्र में चन्द सिक्कों के लिए हाथों में गुब्बारे लिए उन्हें बेचने चले है।

जहां छोटी सी उम्र में इन बच्चों के कंधो में स्कूल बैग होना चाहिए आज स्कूल बैग की जगह उनके कंधों पर गुब्बारे बेचने के सामान से भरा थैला है। ये बच्चे तल्लीताल, मॉल रोड, पंतपार्क, बोट स्टैंड, डीएसए मैदान में पढ़ने लिखने की उम्र में पर्यटकों को गुब्बारे बेचते नजर आते है।

इन बच्चों का बचपन मैले कपड़ो में बीत रहा है। जब यह बच्चे अपनी ही उम्र के छोटे बच्चों को गुब्बारे थमाते है तो पल भर के लिए उनकी नजर उस दूसरे छोटे बच्चों के चेहरे पर टिक जाती है।

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