महिला विधायक चुनने में संकोच करते हैं बरेली के लोग
ओमेन्द्र सिंह, बरेली, अमृत विचार। महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए बरेली के लोग मंचों के माध्यम से तरह तरह की बयानबाजी करते हैं। महिला सशक्तिकरण की बातें होती हैं, बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए जागरूक किया जाता है, लेकिन महिला नेता चुनने की बात आती है तो संकोच करने से भी नहीं चूकते …
ओमेन्द्र सिंह, बरेली, अमृत विचार। महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए बरेली के लोग मंचों के माध्यम से तरह तरह की बयानबाजी करते हैं। महिला सशक्तिकरण की बातें होती हैं, बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए जागरूक किया जाता है, लेकिन महिला नेता चुनने की बात आती है तो संकोच करने से भी नहीं चूकते हैं।
यहीं वजह है कि 1996 के बाद से यहां के मतदाताओं ने महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा का रास्ता वोट न देकर रोक दिया। ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने चुनाव मैदान में उतरकर किस्मत न आजामाई हो, आजमाई लेकिन जनता ने उनके हौसलो को परवान नहीं चढ़ने दिया।
बरेली जिले में बिथरी चैनपुर, मीरगंज, बहेड़ी, मीरगंज, कैंट, आंवला, नवाबगंज, बरेली और भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र हैं। विधानसभा सीटों के लिए जिले में 1951 से 2017 तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। लेकिन यहां के लोगों ने केवल दो महिलाओं को ही जिताया है। इनमें सबसे पहली बार कांग्रेस से विधानसभा में साफिया अब्दुल वाजिद चुनी गईं थीं।
उस वक्त वह बरेली पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थीं। इसके बाद वर्ष 1996 में सन्हा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुमनलता सिंह पर जनता ने भरोसा जताया था। सुमनलता के बाद कोई महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सकी। यदि लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो आंवला लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की सावित्री श्याम को यहां की जनता ने वर्ष 1967 व 1971 में सांसद बनाया।
एक बार उप चुनाव में बरेली के लोगों ने बेगम आबिदा अहमद को सांसद बनाया था। वह 1981 में बरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गईं थीं। वहीं 1984 में पूर्व राष्ट्रपति फरूद्दीन अली की पत्नी बेगम आबिदा 1984 में बरेली से सांसद रहीं। इसके बाद वर्ष 2009 में मेनका गांधी आंवला से चुनाव जीतीं थीं।
