City Of Nawabs: रूमी दरवाजा की खुबसूरती बना देगी दीवाना, यहां का इतिहास सुनकर रह जाएंगे हैरान…

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

Rumi Gate: रूमी दरवाजा उत्तर प्रदेश के लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान रखता है। नवाब आसफ़उद्दौला ने सन‍् 1786 में इस दरवाजे का निर्माण कराया था। यह दरवाजा जनपद लखनऊ का हस्ताक्षर शिल्प भवन है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस …

Rumi Gate: रूमी दरवाजा उत्तर प्रदेश के लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान रखता है। नवाब आसफ़उद्दौला ने सन‍् 1786 में इस दरवाजे का निर्माण कराया था। यह दरवाजा जनपद लखनऊ का हस्ताक्षर शिल्प भवन है।

अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाज़े को तुर्किश गेटवे भी कहा जाता है।नवाबों के शहर के नाम से मशहूर लखनऊ के हर कोने पर नवाबी शानोशौकत की छाप देखी जा सकती है। वैसे भी इस शहर का इतिहास बहुत पुराना है। नवाब आसफुद्दौला ने सन‍् 1775 में लखनऊ को अपनी सल्तनत का मरकजे मसनद बना लिया था।

सन् 1784 में उन्होंने रूमी दरवाजा और इमामबाड़ा बनवाना शुरू कर दिया था। इनका निर्माण कार्य सन् 1786 में पूरा हुआ। इस विशाल दरवाजे को बनकर तैयार होने में 2 साल का समय लगा। कहते हैं इनके निर्माण में उस जमाने में एक करोड़ की लागत आई थी।

हालांकि जब रूमी दरवाज़ा बन रहा था उस वक्त अवध में अकाल पड़ा हुआ था, इसलिए भूखों को रोटी देने की गरज से आसफुद्दौला ने इन इमारतों की विस्तृत योजना बनाई थी। रूमी दरवाजे की ऊंचाई 60 फीट है। इसके सबसे ऊपरी हिस्से पर एक अठपहलू छतरी बनी हुई है, जहां तक जाने के लिए रास्ता है।

पश्चिम की ओर से रूमी दरवाजे की रूपरेखा त्रिपोलिया जैसी है जबकि पूर्व की ओर से यह पंचमहल मालूम होता है। दरवाजे के दोनों तरफ तीन मंजिला हवादार परकोटा बना हुआ है, जिसके सिरे पर आठ पहलू वाले बुर्ज बने हुए हैं जिन पर गुंबद नहीं है। रूमी दरवाजे की सजावट निराली है जिसमें हिंदू-मुस्लिम कला का सम्मिश्रण देखने को मिलता है।

संबंधित समाचार