डिप्लोमा चिकित्सक भी बनेंगे शिक्षक, बढ़ेंगी DNB की सीटें... प्रदेश के 100 सरकारी अस्पतालों में शुरू होंगे पाठ्यक्रम

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Published By Muskan Dixit
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पद्माकर पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार : प्रदेश में गुणवत्ता युक्त चिकित्सकीय सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब डीएनबी (डॉक्टरेट ऑफ नेशनल बोर्ड) पाठ्यक्रम 39 नहीं बल्कि प्रदेश के 100 सरकारी अस्पतालों में संचालित किया जाएगा। विभिन्न विषयों में डीएनबी सीटों की संख्या के लिए स्वास्थ्य विभाग में कवायद शुरू हो चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रत्येक अस्पताल में विषयवार कितनी सीटें स्वीकृत की जा सकती हैं, इसका आकलन करने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों के प्रशासन से मौजूदा विशेषज्ञ और डिप्लोमाधारी चिकित्सकों का विस्तृत विवरण मांगा है। इसमें चिकित्सकों के अनुभव, विषय विशेषज्ञता और सेवाकाल की जानकारी शामिल है।

मेडिकल कॉलेजों की पीजी सीटों के अलावा नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को विभिन्न विषयों में तीन वर्षीय डीएनबी पाठ्यक्रम में प्रवेश का अवसर मिलता है। यह पाठ्यक्रम प्रायः सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में संचालित होते हैं। शिक्षक समेत अन्य मानकों के पूरा होने पर डीएनबी बोर्ड संबंधित अस्पताल को निर्धारित सीटों पर दाखिले की अनुमति देता है। वर्तमान में प्रदेश के 39 सरकारी अस्पतालों में विभिन्न विषयों की कुल 183 डीएनबी सीटों पर चिकित्सक अध्ययनरत हैं। नए समीकरण में स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 100 सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक डीएनबी सीटें संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अस्पतालों ने डिप्लोमा प्राप्त विशेषज्ञ चिकित्सकों का अनुभव सहित विवरण शासन को भेजना शुरू भी कर दिया है।

10 व 13 वर्ष का अनुभव रखने वाले वाले बनेंगे शिक्षक

एनएमसी की ओर से मानकों में आंशिक राहत दिए जाने के बाद डीएनबी सीटें बढ़ाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। नए नियमों के तहत एमडी-एमएस के अलावा संबंधित विषय में 13 वर्षों का चिकित्सकीय सेवा अनुभव रखने वाले डिप्लोमा प्राप्त विशेषज्ञ चिकित्सकों को फैकल्टी के रूप में मान्यता दी जाएगी। साथ ही 10 साल के अनुभवी चिकित्सक को सहायक फैकल्टी बनाया जाएगा, इससे कई सरकारी अस्पताल डीएनबी व डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालन के योग्य हो जाएंगे।

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के 100 अस्पतालों में डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू होने से मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा और प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या भी बढ़ेगी। अस्पतालों द्वारा मौजूदा विशेषज्ञ चिकित्सकों का विवरण मिलने के बाद सीट स्वीकृति के लिए एनएमसी में आवेदन किया जाएगा।

अमित कुमार घोष, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग, उप्र.

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