‘हरित इस्पात’ पर संसदीय समिति की शुक्रवार को होगी बैठक
नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने इस्पात उद्योग से जुड़े सभी हितधारकों का कार्बन उत्सर्जन घटाने तथा हरित उत्पादन बढ़ने के लिए मिल-जुल कर ठोस और समयबद्ध प्रयास करने का आह्वान किया है। श्री सिंह शुक्रवार को इस्पात मंत्रालय से संबंधी संसदीय सलाहकार समिति की शिमला में एक बैठक की अध्यक्षता …
नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने इस्पात उद्योग से जुड़े सभी हितधारकों का कार्बन उत्सर्जन घटाने तथा हरित उत्पादन बढ़ने के लिए मिल-जुल कर ठोस और समयबद्ध प्रयास करने का आह्वान किया है। श्री सिंह शुक्रवार को इस्पात मंत्रालय से संबंधी संसदीय सलाहकार समिति की शिमला में एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
इस्पात मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में ‘हरित इस्पात की ओर संक्रमण’ विषय पर गहन चर्चा की गयी। विज्ञप्ति में कहा गया है, “अध्यक्ष ने इस्पात उद्योग से उत्सर्जन को प्रतिबद्धताओं के अनुरूप कम करने के लिए हितधारकों से एक समयबद्ध कार्य योजना के विकास के लिए मिल कर काम करने का आग्रह किया ताकि ताकि हरित इस्पात के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा दिया जा सके।
” बयान के मुताबिक इस बैठक में, समिति के सदस्यों ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, इस्पात उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ वर्तमान परिदृश्य तथा हरित इस्पात की प्रगति आगे के रास्ते पर उपयोगी चर्चा हुई। बयान में कहा गया है कि इस बैठक में इस्पात उद्योग हरित इस्पात का उत्पादन करने के लिए अपनायी जाने वाली विभिन्न रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों को उनके गुण-दोष, प्रौद्योगिकी की तैयारी के स्तर (टीआरएल) और उसकी व्यावसायिक रूप से उपलब्ध के समय आदि के बारे में चर्चा की गयी।
बैठक की चर्चाओं का एक प्रमुख विषय लोहे के उत्पादन में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग की संभावनाओं और संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के कॉप26 में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुरूप उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन संग्रह, उसके उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) प्रौद्योगिकी का उपयोग था। इसमें मार्ग की रुकावटें दूर करने के लिए आवश्यक सरकारी हस्तक्षेप और ग्रीन स्टील के उत्पादन के लिए आगे के रास्ते पर भी चर्चा की गई।
बैठक में उपस्थित सदस्यों में विद्युत बरन महतो, चंद्र प्रकाश चौधरी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, प्रतापराव गोविंदराव पाटिल चिखलीकर, एस. ज्ञानथिरवियम, सप्तगिरि शंकर उलाका, विजय बघेल और अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल थे। भारतीय लौह और इस्पात उद्योग प्रदूषणकारी कोयले पर आधारित ऊर्जा पर अधिक आश्रित है। इस उद्योग के लिए अपने उत्सर्जन को पर्याप्त रूप से कम करना अनिवार्य है और कॉप 26 में की गई प्रतिबद्धताओं के मद्देनजर इसे कम करने का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
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