आईएनएस विक्रांत पूर्व सरकारों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा : कांग्रेस

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को भारत के पहले स्वदेश निर्मित पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित करने का श्रेय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और आरोप लगाया कि उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों के योगदानों को उचित स्थान ना देकर पाखंड किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अगस्त 2013 में …

नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को भारत के पहले स्वदेश निर्मित पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित करने का श्रेय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और आरोप लगाया कि उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों के योगदानों को उचित स्थान ना देकर पाखंड किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अगस्त 2013 में आईएनएस विक्रांत का उद्घाटन करते पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी का एक वीडियो साझा किया और कहा कि चूंकि मोदी सरकार सत्ता में है, इसलिए वह इस विमानवाहक पोत को राष्ट्र को समर्पित कर रही है।

रमेश ने एक मीडिया एजेंसी से कहा मोदी सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। जब इसे बेड़े में शामिल किया जा रहा है तब मोदी सरकार सत्ता में हैं। सच्चाई यह है कि कई साल पहले रक्षा मंत्री रहते हुए ए के एंटनी ने आईएनएस विक्रांत को लांच किया था। डिजाइन से लेकर निर्माण और लांच से लेकर देश को समर्पित करने में 22 साल लगे हैं। मोदी सरकार ने बस, इसे बेड़े में शामिल किया है और वह इसका श्रेय ले रही है। उन्होंने कहा इसलिए, यह पाखंड है जो वर्तमान प्रधानमंत्री की खासियत है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश ने कहा कि यह ऐसी उपलब्धि है जिससे देश की मजबूती को बल मिलेगा और अपनी खासियत के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों के योगदानों को उचित स्थान नहीं दिया। एंटनी का वीडियो साझा करते हुए रमेश ने यह भी कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने 12 अगस्त 2013 को भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को लांच किया था। प्रधानमंत्री ने इसे आज बेड़े में शामिल किया है। आत्मनिर्भर भारत 2014 से पहले भी था।

इससे जुड़े पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदानों की भी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित किया जाना 1999 के बाद की सभी सरकारों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। क्या प्रधानमंत्री मोदी इसे स्वीकार करेंगे? रमेश ने कहा कि इस अवसर पर पहले आईएनएस विक्रांत को भी याद किया जाना चाहिए, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता कृष्णा मेनन ने ब्रिटेन से इसे हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री ने आज कोच्चि में ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण किया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं। कुल 262 मीटर लंबा तथा 62 मीटर चौड़ा यह जहाज 28 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है। 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना यह विमान वाहक जहाज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यह देश में बने एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) के अलावा मिग-29के लड़ाकू विमान सहित 30 विमान संचालित करने की क्षमता रखता है।

रमेश ने कहा कि आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाना भारतीय नौसेना के इंजीनियरों, अधिकारियों और कोचिन शिपयार्ड के कर्मचारियों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की समस्या ये है कि सरकारों की निरंतरता को वह नहीं मानते जैसे 2014 से पहले भारत था ही नहीं। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की शुरुआत कृष्णा मेनन ने 1957 में रक्षा मंत्री के रूप में की थी और जवाहरलाल नेहरू उस वक्त देश के प्रधानमंत्री थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत का जलावतरण करते हुए कहा कि आईएनएस विक्रांत भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। आईएनएस विक्रांत के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी स्तर पर विमानवाहक पोत बना सकते हैं। मोदी ने कहा कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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