बसपा के वोटबैंक पर कांग्रेस की पैनी नजर, पुनिया को पीछे छोड़ बृजलाल खाबरी बने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष

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महेश शर्मा कानपुर, अमृत विचार। जातीय आधार की राजनीति में माहिर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश संगठन की बागडोर बृजलाल खाबरी को सौंपकर दलित कार्ड चल दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लगभग तय माने जा रहे मल्लिका अर्जुन खड़गे भी दलित हैं। पार्टी ने यूपी में जिन छह को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया है उनमें …

महेश शर्मा
कानपुर, अमृत विचार। जातीय आधार की राजनीति में माहिर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश संगठन की बागडोर बृजलाल खाबरी को सौंपकर दलित कार्ड चल दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लगभग तय माने जा रहे मल्लिका अर्जुन खड़गे भी दलित हैं। पार्टी ने यूपी में जिन छह को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया है उनमें तीन बसपा से आयातित हैं। खाबरी खुद बसपा में थे।

रणनीतिकार इसे सियासी प्रयोग मानते है। पूर्वांचल, अवध, प्रयाग, बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम ज़ोनों को क्षेत्रीय अध्यक्ष संभालेंगे। सांगठनिक मजबूती के साथ ही जातीय समीकरण साधने की तैयारी है। क्षेत्र का बंटवारा के पीछे नेताओं का अनुभव बताया जाता है।

कांग्रेस यूपी में खाबरी के ज़रिए दलित समाज को जोड़ने में जुटेगी। बृजलाल खाबरी की छवि तेजतर्रार दलित नेता की है। यह उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। विधायक वीरेंद्र चौधरी को पूर्वांचल सौंपा गया है। वह फ़ैज़ाबाद, अम्बेडकरनगर, बस्ती,महराजगंज, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर में कुर्मियों को जोड़ने का काम करेंगे।

पूर्व मंत्री अजय राय को पर्यसग ज़ोन की ज़िम्मेदारी मिलेगी। भूमिहार अजय मज़बूत छवि के नेता हैं। अवध और बुंदेलखंड ज़ोनों में प्रांतीय अध्यक्षों की ज़िम्मेदारी पूर्व मंत्री नकुल दुबे और योगेश दीक्षित की होगी। नकुल प्रभावशाली ब्राह्मण हैं।

नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को पश्चिम प्रान्त सौंपा गया है। ब्रज प्रान्त में यादव लैंड से आने वाले अनिल यादव को ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण दृष्टि से यह रणनीति अपनाई गई है।

कौन हैं बृजलाल खाबरी
कोच (जालौन) के खाबरी गांव के निवासी बृजलाल एक रोचक कथा के किरदार हैं। खाबरी गाँव में दलितों पर अत्याचार से द्रवित हुए बृजलाल ने उनके हितों की लड़ाई लड़ी। वहीं से उपनाम खाबरी रख लिया। वह दलितों को न्याय के लिए पुलिस से भिड़ जाते थे। पीड़ित करने वालों पे मुकदमा दर्ज करा देते थे। वह छात्र राजनीति में काफी लोकप्रिय नेता रहे।

उनके करीबी बताते हैं कि दलित मिशन’ के लिए घर छोड़ दिया था। कांशीराम से राजनीतिक प्रशिक्षण लिया। 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये। अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। मायावती के बर्ताव से खिन्न खाबरी कांग्रेस में आ गए। वह राहुल और प्रियंका के करीबी माने जाते हैं।

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