मनुष्य के वापिस लौटने का नहीं पढ़ा होगा ऐसा वर्णन- पढ़िए बिष्णु महापात्र की ये कविता   

Amrit Vichar Network
Published By Jagat Mishra
On

इस कविता में बिष्णु महापात्र ने एक मनुष्य के वापस लौटने का बडे़ सुंदर मार्मिक ढंग से प्रस्तुतिकरण किया है कि पाठक सहज ही उससे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है। 

लौटूंगा एक दिन

निश्चित
लौट आऊंगा एक दिन
तुम्हारे पास
तीर्थ से लौटे आदमी-सा
मैले-कुचैले कपड़े, गले में तुलसी की माला
हाथ में छड़ी
और कुछ पोस्टकार्ड लिए।

लौट आऊंगा उस दिन
टूट चुका होगा रिश्ता जिस दिन
कविता से,
पराजित सेनानी
ध्वनि और शब्दों से जूझता
पकड़ा जाऊंगा जिस दिन
खुद के फैलाए जाल में,
निर्वासित होऊंगा जिस दिन
रात्रि के साम्राज्य से
मालिन की सात ताल की गहराई से।

लौट आऊंगा उस दिन
कटेगी पतंग जिस दिन
हाथों में मंझा उलझाए
मेले के मैदान से होते हुए
तुम्हारे पास
मौखिक गणित से घबराए
एक बालक-सा।


ये भी पढ़ें - जीवन व्यवस्था पर तंज करती है रघुवीर सहाय की ये कविता

संबंधित समाचार