सुप्रीम कोर्ट के पांचों नए जज 6 फरवरी को लेंगे शपथ, कुल स्वीकृत संख्या से दो न्यायाधीश अब भी कम

सुप्रीम कोर्ट को मिले पांच नये न्यायाधीश, कुल स्वीकृत संख्या से दो न्यायाधीश अब भी कम

सुप्रीम कोर्ट के पांचों नए जज 6 फरवरी को लेंगे शपथ, कुल स्वीकृत संख्या से दो न्यायाधीश अब भी कम

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की ओर से पिछले साल 13 दिसम्बर को अनुशंसित नामों को केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ ही शीर्ष अदालत को शनिवार को पांच नये न्यायाधीश मिल गये। इन न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 32 तक पहुंच जाएगी। फिर भी यह आंकड़ा न्यायाधीशों की स्वीकृत पदों (34) से दो कम रहेगा।

सोमवार को लेंगे शपथ
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले साल दिसंबर में इन नामों की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति भवन से इनकी नियुक्ति का परवाना जारी होने के बाद अब शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा। सोमवार की सुबह साढ़े बजे सुप्रीम कोर्ट के नव नियुक्त जज शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के विस्तारित परिसर में बने सभागार में शपथ समारोह आयोजित होगा। इनके शपथ लेते ही सुप्रीम कोर्ट के कुल स्वीकृत जजों की संख्या 34 की काफी हद तक भरपाई हो जाएगी।

नियुक्ति का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट और 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे विवाद के बीच आया है। कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी वी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये जाने की ट्वीट के जरिये घोषणा की।

जब ये न्यायाधीश अगले सप्ताह की शुरुआत में पद की शपथ लेंगे, तो शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 32 हो जाएगी। फिलहाल शीर्ष अदालत में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सहित 27 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि सीजेआई सहित इसकी स्वीकृत संख्या 34 है। ये नियुक्तियां उच्चतम न्यायालय की एक पीठ द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण में सरकार की ओर से देरी पर कड़ी टिप्पणियों के बीच आई हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन पांच नियुक्तियों का पीठ की टिप्पणी से कोई लेना-देना नहीं है और ये नियुक्तियां केंद्र द्वारा सुविचारित निर्णय के बाद की गई हैं। उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को इनके नामों की सिफारिश की थी। उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर शीर्ष अदालत और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सामने आये हैं।

कानून मंत्री ने हाल ही में कॉलेजियम को भारतीय संविधान के "प्रतिकूल" बताया था, जबकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और तत्संबंधित संविधान संशोधन अधिनियम को खारिज करने वाले उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर सवाल उठाये थे केंद्र ने शुक्रवार को न्यायालय को आश्वासन दिया था कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ को बताया था कि इन पांचों नामों की नियुक्ति का वारंट जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। शीर्ष अदालत में संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की पदोन्नति के बाद राजस्थान, मणिपुर और पटना उच्च न्यायालयों में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है।

न्यायमूर्ति मणींद्र मोहन श्रीवास्तव को राजस्थान उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है, जबकि नियमित नियुक्ति होने तक न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। न्यायमूर्ति एम वी मुरलीधरन को मणिपुर उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

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