..जो खुद जदयू को कमजोर करने की डील में जुटे, वही बचाने की बात कर रहे: उमेश सिंह कुशवाहा

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Published By Vishal Singh
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पटना। बिहार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के पत्र को लेकर आज उन पर निशाना साधा और कहा कि जो खुद जदयू को कमजोर करने की ‘डील’ में जुटे हैं, वही उसे ‘बचाने’ की बात कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा की ओर से जारी पत्र पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सोमवार को यहां कहा कि पार्टी ने जिनके मान-सम्मान का इतना ख्याल रखा वही दलीय मर्यादा का इस तरह उल्लंघन करेंगे, यह बात सहज विश्वास करने योग्य नहीं लगती।

उन्होंने कहा कि हद तो यह है कि जो स्वयं जदयू को कमजोर करने की ‘डील’ में जुटे हैं, वही पार्टी को ‘बचाने’ की बात कर रहे हैं। जिन्हें जदयू का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है, वे शायद यह भूल रहे हैं कि यह पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संघर्ष से उपजी है, किसी अवसरवादी की मजाल नहीं कि इसकी नींव की एक ईंट भी हिला दे।

जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जदयू का एक-एक कार्यकर्ता नीतीश कुमार के संस्कार में ढला है लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा इतने वर्षों में भी उनसे सार्वजनिक जीवन की मर्यादा का कोई पाठ नहीं सीख पाए। वे पार्टी के संयम और संस्कार की लगातार परीक्षा ले रहे हैं। वे शायद इस मुगालते में हैं कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता उनकी अनर्गल बातों में आ जाएंगे। पर सच यह है कि उनकी मंशा धरी की धरी रह जाएगी। 

कुशवाहा ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि राजद से जदयू की एक ही डील है और वह है भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हटाना। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी आज ट्वीट कर उपेन्द्र कुशवाहा की बात को मनगढ़ंत करार दिया है। ऐसे में कहने को कुछ शेष नहीं रह जाता, फिर भी यदि पार्टी के जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति अपने स्वार्थ में अंधा होकर बैठक बुलाने और कार्यकर्ताओं को बरगलाने की कोशिश करे तो इसकी जितनी निंदा की जाय, वह कम होगी।

गौरतलब है कि उपेन्द्र कुशवाहा ने रविवार को जदयू के प्रमुख साथी और पूर्व में उनके साथ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) में काम कर चुके सहयोगियों और महात्मा फुले समता परिषद के साथियों को पत्र लिखकर 19 और 20 फरवरी को पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने का आग्रह किया है।

उन्होंने पत्र में कहा है कि जदयू अपने आंतरिक कारणों से हर दिन कमजोर होता जा रहा है। महागठबंधन बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के समय से ही वह पार्टी की स्थिति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगातार अवगत कराते आ रहे हैं।

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि समय-समय पर उन्होंने पार्टी की बैठकों में भी अपनी बातें रखी है। उन्होंने पिछले एक-डेढ़ महीने से हर संभव तरीके से कोशिश की है कि अपना अस्तित्व खोती जा रही पार्टी को किस तरह से बचाया जा सके। उनकी यह कोशिश आज भी जारी है लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से उनकी बातों की न सिर्फ अनदेखी की जा रही है बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है।

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