नैनीताल: उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष और कांग्रेस नेता दीपक बिजल्वाण की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
नैनीताल, अमृत विचार। उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष और कांग्रेस नेता दीपक बिजल्वाण की मुश्किलें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं। विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हो गयी है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में प्रतिवादी बिजल्वाण से आगामी 7 मार्च तक आपत्ति दर्ज करने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में बुधवार को सरकार के स्थगनादेश के खिलाफ दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से एसआईटी की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी। सरकार की ओर से कहा गया कि एसआईटी जांच में 19 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने अदालत को बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष समेत अपर मुख्य अधिकारी और जिला पंचायत के एकाउटेंट के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोपों की पुष्टि हुई है।
डीआईजी पी. रेणुका देवी की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी की ओर से सरकार को रिपोर्ट सौंप दी गयी है। रिपोर्ट में आये निष्कर्षों के बाद आरोपियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि अदालत के स्थगनादेश के चलते आगे की कार्यवाही अमल में नहीं लायी जा रही है। उन्होंने अदालत से स्थगनादेश हटाने की मांग की। अदालत ने फिलहाल स्थगनादेश हटाने से इनकार करते हुए बिजल्वाण को जांच रिपोर्ट पर 7 मार्च तक आपत्ति दर्ज करने के निर्देश दिये हैं।
इस मामले में उत्तरकाशी के मोरी और आराकोट के जिला पंचायत सदस्य भी अदालत पहुंचे हैं और उन्होंने हस्तक्षेप याचिका दायर कर की है, लेकिन अदालत ने फिलहाल उन्हें सुनने से इनकार कर दिया। अदालत ने एसआईटी की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने संबंधी मांग को भी ठुकरा दिया।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में बिजल्वाण को प्रदेश सरकार की ओर से पिछले साल सात जनवरी, 2022 को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। साथ ही आपराधिक आरोपों की जांच के लिये एसआईटी को जांच सौंप दी थी। इसके बाद बिजल्वाण ने सरकार के इस कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
अदालत ने बिजल्वाण को राहत नहीं दी, लेकिन अदालत की अनुमति के बिना गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी थी। बिजल्वाण ने उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी। उच्चतम न्यायालय ने पुनः इस मामले को सुनने के निर्देश दिये। इसके बाद उच्च न्यायालय ने सरकार के 7 जनवरी, 2022 के बर्खास्तगी आदेश पर रोक जारी लगा दी थी।
