छत्तीसगढ़ सरकार पर 82 हजार करोड़ रुपए का कर्ज, हर महीने 460 करोड़ ब्याज भुगतान

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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रायपुर। छत्तीसगढ़ पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों से लिए गये 82 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। विधानसभा में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक प्रमोद कुमार शर्मा के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि जनवरी 2023 की स्थिति में राज्य सरकार पर 82.125 करोड़ रुपए का ऋण है।

सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि जनवरी 2019 से जनवरी 2023 तक औसत प्रतिमाह 460 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान किया गया। दिसंबर 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विभिन्न संस्थाओं से राज्य के विकास के लिए जनवरी 2019 से इस वर्ष जनवरी तक 54,491.68 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर क्षेत्र में कथित धर्मांतरण का विरोध करने पर संदिग्ध नक्सलियों द्वारा पार्टी के नेताओं की हत्या पर चर्चा की मांग की और सदन में जमकर हंगामा मचाया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा।

गर्भगृह में नारेबाजी के कारण भाजपा विधायकों को भी दो बार निलंबित किया गया। सदन में प्रश्नकाल के बाद भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर समेत अन्य भाजपा सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि बस्तर के लोग कथित धर्मांतरण का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग की।

ईसाई मिशनरियों और माओवादियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए शर्मा ने कहा कि पिछले एक महीने में बस्तर संभाग (जिसमें सात जिले शामिल हैं) में जबरन धर्मांतरण का विरोध करने वाले चार भाजपा नेताओं को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या कर दी गई। वहीं, चंद्राकर ने कहा कि बस्तर अघोषित आपातकाल की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक साजिश के तहत आदिवासी बहुल क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

भाजपा सदस्यों ने राज्य सरकार और पुलिस पर कथित धर्मांतरण में शामिल लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। भाजपा विधायकों के आरोपों के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा पर पलटवार किया और कहा कि क्षेत्र में पिछली भाजपा सरकार के दौरान लक्षित हत्याएं हो रही थीं। भूपेश बघेल सरकार के दौरान नक्सल गतिविधियों को नियंत्रण में लाया गया है। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम को सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए लगातार दो बार स्थगित करनी पड़ी।

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