Modi Cabinet : बीमा कंपनियों में अब 100% विदेशी निवेश, मोदी सरकार ने विधेयक को दी मंजूरी, संसद में होगा पेश

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। देश में बीमा कवरेज बढ़ाने और इस क्षेत्र में अधिक पूंजी आकर्षित करने के लक्ष्य के तहत केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जा सकता है। यह सत्र 19 दिसंबर को समाप्त होने वाला है। 

विधयक को संसद में पेश सोमवार को पेश कर सकती है सरकार 

लोकसभा के एक बुलेटिन के मुताबिक, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के मौजूदा सत्र की कार्यसूची में शामिल किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य बीमा क्षेत्र में प्रसार बढ़ाना, वृद्धि की रफ्तार बढ़ाना और कारोबारी सुगमता में सुधार लाना है। सूत्रों ने कहा कि सरकार इस विधेयक को सोमवार को संसद में पेश कर सकती है। 

वित्त मंत्री ने 2025-26 के आम बजट में रखा था प्रस्ताव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करते समय बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा को 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। अब तक बीमा क्षेत्र में 82,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आ चुका है। वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के कई प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इनमें बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना, न्यूनतम चुकता पूंजी को घटाना और संयुक्त बीमा लाइसेंस की व्यवस्था शुरू करना शामिल है। 

सूत्रों के मुताबिक, विधेयक में यह प्रावधान रखा गया है कि बीमा कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन- चेयरमैन, प्रबंध निदेशक (एमडी) या मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) में से कम-से-कम एक व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य होगा। समग्र विधायी प्रक्रिया के तहत बीमा अधिनियम, 1938 के साथ एलआईसी अधिनियम, 1956 और इरडा अधिनियम, 1999 में भी संशोधन किए जाएंगे। 

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन इसके निदेशक मंडल को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे संचालन संबंधी निर्णय स्वतंत्र रूप से लेने का अधिकार देगा। इससे पॉलिसीधारकों की सुरक्षा बढ़ेगी, नई कंपनियों का प्रवेश आसान होगा और बीमा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा एवं नवाचार बढ़ेगा।

इन बदलावों का उद्देश्य है कि वर्ष 2047 तक ‘सभी को बीमा’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। बीमा अधिनियम, 1938 भारत में बीमा कारोबार के संचालन के लिए नियामकीय ढांचा प्रदान करता है।  यह अधिनियम बीमाकर्ताओं, पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के बीच संबंधों को संचालित करने वाले प्रावधानों को परिभाषित करता है।

सरकार के इस कदम का बीमा उद्योग ने किया स्वागत

सरकार के इस कदम का बीमा उद्योग ने स्वागत किया है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ कमलेश राव ने कहा कि इससे वैश्विक बीमा कंपनियां भारत में निवेश के अवसरों को और गंभीरता से देखेंगी।  डेलॉयट इंडिया में साझेदार देबाशीष बंद्योपाध्याय ने कहा कि स्वामित्व संबंधी नियमों में स्पष्टता से विदेशी कंपनियों की रुचि बढ़ेगी। ग्रांट थॉर्नटन भारत के साझेदार नरेंद्र गणपुले ने कहा कि यह कदम पॉलिसीधारकों को अधिक विकल्प, नए उत्पाद और बेहतर सेवा गुणवत्ता देगा। 

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