हल्द्वानी: नहर में मिली होली से लापता बेरोजगार इंजीनियर की लाश

रुद्रपुर से होली के त्योहार पर आया था घर, अगले दिन से था लापता

हल्द्वानी: नहर में मिली होली से लापता बेरोजगार इंजीनियर की लाश

रविवार दोपहर वर्कशॉप लाइन की बरसाती नहर में उतराता मिला शव

हल्द्वानी, अमृत विचार। होली के अगले दिन से लापता बेरोजगार इंजीनियर की लाश रविवार दोपहर वर्कशॉप लाइन की बरसाती नहर में मिली। इंजीनियर होली पर अपने परिवार से मिलने रुद्रपुर से हल्द्वानी आया था। उसकी जेब में मिले आधार कार्ड से शव की शिनाख्त की गई। मौत की खबर से परिवार में कोहराम है। पुलिस ने श‍व पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। 

वार्ड 35 जवाहर ज्योति जमरानी रोड गुरुदेव कालोनी निवासी रमेश चंद्र रौशिल स्थित इंटर कॉलेज से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं। घर में पत्नी गोविंदी देवी, बेटा विवेक कुमार (40), बहू सरिता, नाती-नातिन काव्य व तमन्ना के अलावा छोटा बेटा आशीष है।

भाई आशीष के मुताबिक विवेक पेशे से इंजीनियर था और अपनी पत्नी सरिता, बच्चों काव्य और तमन्ना के साथ रुद्रपुर में रहता था, लेकिन 3-4 साल से सरिता भी बच्चों के साथ उससे अलग रह रही थी। होली के दिन विवेक हल्द्वानी में पिता के घर पहुंचा। कुछ घंटे ठहरने के बाद वह चला गया और पूरी रात नहीं लौटा।

अगले दिन फिर घर पहुंचा, लेकिन थोड़ी देर बाद फिर चला गया। परिवार इस बात से बेफिक्र थे कि वो रुद्रपुर गया होगा, लेकिन रविवार को तब परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई जब उसकी मौत की खबर घर पहुंची। विवेक की लाश वर्कशॉप लाइन स्थित बरसाती नहर से मिली।

सूचना मिलते ही भोटियापड़ाव पुलिस मौके पर पहुंच गई। शव को बाहर निकाल कर तलाशी ली गई तो जेब से आधार कार्ड मिला, जिसके जरिये शव की शिनाख्त विवेक के रूप में हुई। आशीष के मुताबिक विवेक पिछले एक साल से बेरोजगार था। जबकि पहले वह एक निजी कंपनी में काम करता था। परिवार इस मौत को हादसा मान रहा है।  


पिता को नहीं बेटे की मौत की खबर

प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए रमेश चंद्र को बड़े बेटे की मौत की खबर नहीं दी गई। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से वह अस्पताल में भर्ती है और जिस रविवार को बेटे की लाश नहर से मिली, उसी दिन उनका अस्पताल में हार्निया का ऑपरेशन होना था। ऐसे में परिवार ने विवेक की मौत की सूचना उन्हें देना मुनासिब नहीं समझा। 


शराब ने छुड़वाया परिवार और फिर जिंदगी

भाई आशीष के मुताबिक विवेक शराब का लती था। पहले वह पत्नी बच्चों के साथ रुद्रपुर में रहते थे, लेकिन लत के चलते पत्नी ने उन्हें यह सोच कर छोड़ दिया कि परिवार से दूरी उन्हें सुधार देगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और सरिता ने सिडकुल की एक कंपनी में रिशेप्शन की जॉब कर ली। विवेक की शराब के परिवार के साथ उसकी जिंदगी भी छीन ली।