प्रयागराज : अनुमानित राय के आधार पर याचियों का चयन निरस्त करना अनुचित

प्रयागराज : अनुमानित राय के आधार पर याचियों का चयन निरस्त करना अनुचित

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ, प्रयागराज को ग्रुप डी के पदों पर याचियों को भर्ती करने का आदेश देते हुए कहा कि एक अनुमानित राय के आधार पर याचियों का चयन निरस्त करना अनुचित है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह अनुशासनात्मक कार्यवाही का मामला नहीं है, न ही रेलवे द्वारा परीक्षा प्रक्रिया में बड़े स्तर पर अनियमितताओं का संदेह स्पष्ट किया गया है। केवल कुछ उम्मीदवारों के चयन को बिना किसी पुष्ट आधार के रद्द करना विधि सम्मत नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार (चतुर्थ) ने विजय पाल व 22 अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

मामले के अनुसार उत्तर मध्य रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने 27 जुलाई 2013 को ग्रुप डी (खलासी, हेल्पर, ट्रैकमैन, चपरासी, सफाईवाला व अन्य) के 2609 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। याचियों ने भी परीक्षा दी और वह चयनित हो गए, बाद में भर्ती प्रकोष्ठ ने अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट्स का सत्यापन कराया तो 339 अभ्यर्थियों के अंगूठे के निशान मैच नहीं हुए। इस आधार पर प्रकोष्ठ ने अभ्यर्थियों के चयन को रद्द कर दिया और उन पर रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ की सभी भर्तियों में शामिल होने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के संबंध में नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांग लिया।

याचियों ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के समक्ष चुनौती दी। अधिकरण ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने पर आजीवन प्रतिबंध और आपराधिक कार्रवाई करने के लिए जारी नोटिस को रद्द कर दिया, लेकिन उनके चयन पर रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ के निर्णय को बरकरार रखा। याचियों ने कैट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कैट के आदेश को सही नहीं माना और याचियों को तुरंत भर्ती का आदेश दिया।

ये भी पढ़ें - प्रयागराज : ईदगाह परिसर में प्राचीन कुएं की मुडेर तोड़े जाने के मामले की सुनवाई 10 जुलाई को