Allahabad High Court: नाबालिग लड़की को बाल गृह भेजने पर सीडब्ल्यूसी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

Allahabad High Court: नाबालिग लड़की को बाल गृह भेजने पर सीडब्ल्यूसी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची को सरकारी बाल गृह में रखने के सीडब्ल्यूसी के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक और चौंकाने वाली बात है कि नारी निकेतन/ बाल कल्याण समिति, कानपुर नगर ने नाबालिग बच्ची को सरकारी बाल गृह (महिला) में भेजने का निर्णय लिया जो एक ऐसी जगह है, जहां आमतौर पर ऐसे बच्चों को रखा जाता है, जिनकी कस्टडी का दावा करने वाला कोई नहीं होता जबकि वर्तमान मामले में पिता ने स्वीकार किया है कि वह अपनी नाबालिग बेटी की देखभाल करने में सक्षम है और पिछले कई सालों से उसकी कस्टडी उसके पास है। 

मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने मां के साथ रह रही लड़की को बाल गृह भेजने के समिति के फैसले पर नाराजगी जताते हुए समिति पर 5 लाख का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि लड़की के पिता को सौंपने का निर्देश दिया है, जिसे बच्ची के पालन-पोषण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर समिति जुर्माने का भुगतान नहीं करती है तो पुलिस आयुक्त, कानपुर नगर यह सुनिश्चित करेंगे कि सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष अगली सुनवाई यानी 23 मई को कोर्ट में मौजूद रहेंगे।

 उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने लड़की की मां द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। तथ्यों के अनुसार नाबालिग लड़की अपनी मां के साथ रह रही थी।

सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज बयानों में बच्ची ने बताया कि बाल कल्याण समिति ने लड़की को नारी निकेतन में रखने का निर्देश दिया, जिस पर कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति से यह जानकारी मांगी थी कि लड़की को नारी निकेतन भेजने का ऐसा आदेश क्यों और किन परिस्थितियों में लिया गया था। 

लड़की के अनुसार वह कक्षा-7 में पढ़ती है और नारी निकेतन भेजने के कारण वह परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी, जिससे उसका शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो गया। अंत में कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में सीडब्ल्यूसी के अधिकृत प्रतिनिधि को जवाब के साथ तलब किया गया था, लेकिन विशिष्ट निर्देशों के बावजूद समिति की ओर से कोई भी प्रस्तुत नहीं हुआ। 

अतः समिति द्वारा की गई ऐसी कार्यवाही और अवमानना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने उस पर 5 लाख का जुर्माना लगा दिया और इसके साथ ही संबंधित एसएचओ को भी निर्देश दिया कि लड़की और उसके पिता को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।

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