उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन से दूर रहने का दिया संकेत

उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन से दूर रहने का दिया संकेत

राजौरी/जम्मू। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को यह कहते हुए अगले साल के आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन से अपनी पार्टी के दूर रहने का संकेत दिया कि ज्यादातर ऐसे दल अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने के दौरान मौन थे। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंके जाने से पहले चुनाव पूर्व गठजोड़ की बातचीत जल्दबाजी होगी। 

अब्दुल्ला ने सीमावर्ती राजौरी जिले में पहुंचने पर संवाददाताओं से कहा, हम जम्मू कश्मीर के बाहर क्या (योगदान) कर सकते हैं? हमारे यहां कुल पांच (लोकसभा) सीट हैं और इन पांच सीट से कौन सा तूफान आ सकता है? हमें इन सीट पर भाजपा का मुकाबला करना है, जम्मू कश्मीर के बाहर जो हो रहा है, वह द्वितीयक प्रश्न है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ अन्य दलों के साथ नेशनल कांफ्रेंस के हाथ मिलाने की संभावना के बारे में पूछे गये प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। 

उन्होंने कहा, मजबूरी छोड़िए, मुझे ऐसे गठबंधन से पार्टी एवं जम्मू कश्मीर के लिए कोई फायदा नहीं दिखता है। मैं बार-बार कह रहा हूं कि जब उन्हें हमारी जरूरत होती है, वे हमारा दरवाजा खटखटाते हैं। जब (दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद) केजरीवाल मुसीबत में हैं, तब उन्हें हमारे समर्थन की जरूरत है। लेकिन 2019 में जब हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ तब ये नेता कहां थे।  वह केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित क्षेत्रों -जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में बांटे जाने का जिक्र कर रहे थे। 

अब्दुल्ला ने कहा,  जो आज संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए चिल्ला रहे हैं, वे तब कहां थे जब हमने लोकतंत्र की हत्या का सामना किया। उन्होंने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठायी और तथ्य यह है कि उन्होंने (संसद में) इस कदम का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बस चार दल (द्रमुक, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस एवं दो वामदल) हैं जो हमेशा जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ खड़े रहे। 

उन्होंने कहा,  इन चार दलों को छोड़कर अन्य दलों में कोई ऐसा दिखाइए जिसने दिल से हमारा साथ दिया हो। हम अपनी पांच सीट पर भाजपा का मुकाबला करेंगे, उनकी जो मर्जी हो, उन्हें करने दीजिए। जब अब्दुल्ला से जम्मू कश्मीर में चुनाव पूर्व गठजोड़ की संभावना के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा,  पहले चुनाव का बिगुल बजने दीजिए , तब हम बैठकर इसपर फैसला कर लेंगे। एक व्यक्ति की राय या फैसला स्वीकार्य नहीं होता है, नेशनल कांफ्रेंस के सारे नेता इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और उसके नफा-नुकसान पर चर्चा कर आम सहमति पर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराये जाने में देरी पर प्रश्नों का जवाब देते-देते वह थक चुके हैं। उन्होंने कहा,  यह स्पष्ट है कि भाजपा तैयार नहीं है और यदि वह तैयारी होती तो चुनाव करा लिये गये होते।

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