सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए क्यों नहीं चर्चा कर सकते उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री?

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

नयी दिल्ली। नयी दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच गतिरोध पर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि उपराज्यपाल और केंद्र सरकार नाम सुझाएं और दिल्ली सरकार उनमें से एक का चयन कर सकती है।

ये भी पढ़ें - भारत और नेपाल के बीच सूर्य किरण सैन्य अभ्यास आज से शुरू

अदालत ने पूछा कि उपराज्यपाल वी के सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मिलकर पद के लिए नाम पर सौहार्दपूर्ण चर्चा क्यों नहीं कर सकते? प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ दिल्ली सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

दिल्ली सरकार से परामर्श के बिना मुख्य सचिव की नियुक्ति करने या मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने के केंद्र के किसी भी कदम के खिलाफ याचिका दायर की गई है। कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। दिल्ली सरकार ने पूछा कि केंद्र सरकार उससे परामर्श के बिना मुख्य सचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया को कैसे बढ़ा सकती है जबकि नये दिल्ली सेवा कानून को चुनौती दी गई है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री बैठक क्यों नहीं कर सकते? पिछली बार हमने डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए भी यही बात कही थी और वे कभी तैयार नहीं हुए।’’ केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच अनेक मुद्दों पर टकराव की स्थिति बनी हुई है। पीठ ने प्रस्ताव रखा, ‘‘उपराज्यपाल और केंद्र नामों की सूची क्यों नहीं पेश करते? अंतिम चुनाव तो आपकी सूची से ही होगा।

आप एक सूची प्रस्तुत करें। फिर वे (दिल्ली सरकार) एक नाम तय करेंगे।’’ शुरुआत में दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि दिल्ली में सेवाओं से संबंधित नए कानून को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है और उपराज्यपाल एकपक्षीय तरीके से अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रुख हमेशा से यह रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव की नियुक्ति की है। सिंघवी ने कहा कि मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री की सिफारिश पर नियुक्त किया गया था। मेहता ने कहा, ‘‘कभी नहीं।

मैं हलफनामे पर लिखकर दे सकता हूं।’’ उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए खेद है कि मुख्य सचिव के खिलाफ बयानबाजी हो रही है और उन्हें झूठे आरोपों के खिलाफ अदालत का रुख करना पड़ा था।’’ पीठ ने अगली सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय किया।

ये भी पढ़ें - कर्नाटक: भाजपा और जद(एस) ने की कांग्रेस सरकार के निर्णय की आलोचना, कहा- मकसद शिवकुमार को बचाना 

संबंधित समाचार