अयोध्या: राम मंदिर उद्घाटन को तैयार, मस्जिद-ए-अयोध्या का अभी नक्शा ही नहीं, जानिये कहां फंसा हैं पेच?

अयोध्या: राम मंदिर उद्घाटन को तैयार, मस्जिद-ए-अयोध्या का अभी नक्शा ही नहीं, जानिये कहां फंसा हैं पेच?

इन्दु भूषण पांडेय, अयोध्या। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की एक अहम तारीख "6 दिसंबर 1992" को 31 साल हो गए। इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 9 नवंबर 2019 को आया। बाबरी मस्जिद की एवज में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन देने का आदेश किया तो वह जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दे भी दी गई।

Untitled-33 copy

आज हालात यह है कि राम मंदिर का एक तरफ उद्घाटन (रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा) होने जा रहा तो वहीं मस्जिद-ए-अयोध्या निर्माण की दिशा में एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी है। और तो और अब नए सिरे से मस्जिद का नक्शा इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट तैयार करा रहा है।

Untitled-34 copy

आज बुधवार 6 दिसंबर को इस मसले पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष व इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी जुफर फारूकी से बात की गई तो निष्कर्ष यह निकला की मस्जिद ट्रस्ट अभी जो कुछ कदम उठाएगा वह राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा आगामी 22 जनवरी के बाद ही।

मालूम हो कि मंदिर-मस्जिद विवाद में अंतिम फैसला 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इसी फैसले में मस्जिद के लिए उचित जगह पर जमीन देने का भी आदेश था। इसी क्रम में प्रशासन ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में आवंटित कर दी थी।

जुलाई 2020 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उस जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन करके मस्जिद निर्माण का काम उसे सौंप दिया था। अयोध्या में एक तरफ पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया था। जो अब भव्य राम मंदिर के रूप में शक्ल लगभग सामने है और आगामी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री के हाथों राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा प्रस्तावित है।

एक तरह से राम मंदिर अपनी पूर्णता की ओर लगभग बढ़ रहा है। वहीं धन्नीपुर की मस्जिद-ए-अयोध्या की राह में शुरुआत से ही पग-पग पर रोड़े अटकते गए। पहले इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की तरफ से एक नक्शा दाखिल किया गया लेकिन उस पर प्राधिकरण की तरफ से आपत्ति लगी कि धन्नीपुर की जो जमीन मस्जिद के लिए दी गई है। वह कृषि योग्य भूमि है उस पर कोई निर्माण हो ही नहीं सकता।

काफी लिखा-पढ़ी के बाद इस साल बीते मार्च में इस जमीन की नवैय्यत बदल पाई। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष व इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी जुफर फारूकी ने बताया कि पहले विकास प्राधिकरण में पूरे प्रोजेक्ट का नक्शा दाखिल किया गया था। जिसमें ट्रस्ट द्वारा मस्जिद के साथ-साथ चैरिटी अस्पताल, बड़ा पुस्तकालय, शोध संस्थान और सामुदायिक रसोइघर प्रस्तावित था।

उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रोजेक्ट के नक्शा पास होने में विकास आदि का शुल्क करोड़ों में आ रहा था, जो मौजूदा समय ट्रस्ट के वश का नहीं था। ऐसे में अब मस्जिद का नया नक्शा तैयार कराया जा रहा है। इसे उम्मीद है कि अगले साल फरवरी-मार्च तक प्राधिकरण में जमा कर दिया जाएगा। मस्जिद का नक्शा पास हो जाने के बाद उस पर काम शुरू हो जाएगा और बाकी प्रोजेक्ट के नक्शे व काम की तरफ धीरे-धीरे बढ़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि योजना यह है कि धन्नीपुर में मस्जिद की प्रस्तावित जमीन पर ट्रस्ट का एक स्थाई कार्यालय पहले खोला जाए, जो फरवरी में उम्मीद है बनना शुरू हो जाएगा। जुफर फारूकी ने कहा कि अब धन की कमी आड़े नहीं आएगी। ट्रस्ट चंदे से इसका इंतजाम कर लेगा। इसके लिए बैठकें और पूरे देश में प्रमुख लोगों से सम्पर्क किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मस्जिद का डिजाइन भी अब बदल दिया गया है। अब मस्जिद का डिजाइन मध्य-पूर्व व अरब देशों में बनने वाली मस्जिदों की तर्ज पर होगा।

यह भी पढ़ें: अयोध्या: प्रधानमंत्री मोदी उतारेंगे रामलला की पहली आरती, प्राण प्रतिष्ठा में 150 वैदिक आचार्य करेंगे अनुष्ठान