पीलीभीत: बाघिन को पिंजरे में कैद करने की तैयारी, चार ट्रैप कैमरों से निगरानी... लगाया पिंजरा
पीलीभीत, अमृत विचार: आतंक का पर्याय बनी बाघिन को अब पिंजरे में कैद किया जाएगा। बाघिन को पकड़ने के लिए देवहा नदी के किनारे पिंजरा लगाया गया है। बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखने को आसपास चार ट्रैप कैमरे भी लगाया गया है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व और सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीमों संयुक्त रूप से निगरानी के लिए लगाया गया है।
कलीनगर क्षेत्र के गांव अटकोना से 26 दिसंबर को बाघिन को रेस्क्यू किया गया था। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद बाघिन को रेडियो कॉलर लगाकर 31 दिसंबर को टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया। जंगल में मात्र 12 बिताने के बाद ही बाघिन पुन: रिहायशी इलाकों में जा पहुंची।
सात दिन पूर्व बाघिन शहर के असम चौराहे के समीप देखी गई थी। उसी रात बाघिन ने शहर से करीब चार किमी दूर सड़िया गांव में दस्तक दी। यहां बाघिन ने गांव में घुसकर तीन मवेशियों को निवाला बना डाला था। तबसे बाघिन लगातार पांच किमी के दायरे में घूम रही है। इससे इंसानों के साथ बाघिन की सुरक्षा को भी बड़ा खतरा पैदा होता जा रहा है।
बाघिन के लगातार रिहायशी इलाकों में मूवमेंट को देखते हुए वन अफसरों ने उच्चाधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराते हुए बाघिन को रेस्क्यू करने की अनुमति मांगी थी। तीन दिन पूर्व पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बाघिन को रेस्क्यू करने की अनुमति दे दी थी, मगर बाघिन के लगातार मूवमेंट के चलते वन अफसर भी बाघिन को रेस्क्यू नहीं कर पा रहे हैं।
इधर अब बाघिन पिंजरे में कैद करने की योजना बनाई गई है। बुधवार दोपहर बाद पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के नेतृत्व में बाघिन को कैद करने के लिए इस्लाम नगर के समीप देवहा नदी के किनारे डबरी में पिंजरा लगाया गया है।
पिंजरे में एक बकरी को भी बांधा गया है। बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पिंजरे के आसपास चार ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। पीटीआर और सामाजिक वानिकी प्रभाग की संयुक्त टीमों को निगरानी के लिए लगाया गया है। इस दौरान पीटीआर और सामाजिक वानिकी प्रभाग के रेंजर और वनकर्मी मौजूद रहे।
बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया है। गतिविधियों पर निगाह रखने को आसपास चार ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। संयुक्त टीमों को सतर्कता के साथ निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं--- नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर।
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