Basant Panchami 2024:  कब है बसंत पंचमी? जानें धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है बसंत पंचमी का पर्व

Basant Panchami 2024:  कब है बसंत पंचमी? जानें धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

दीपक मिश्र/मोहनपुरा, अमृत विचार। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन ज्ञानदायिनी मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। आज ही के दिन से बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है, जो सभी ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में वृक्षों में नए नए पल्लव आने लगते हैं।

शिशिर ऋतु के गमन के बाद प्रकृति का स्वरूप बदलकर अनुकूल होने लगता है जिससे मनुष्य उत्साही और प्रसन्नचित्त हो जाता है। गुलाबी ठंड के साथ मौसम सुहाना हो जाता है। खेतों में पीली सरसों चारों ओर निराली सुनहरी छटा बिखेरती है। आम के पेड़ों पर बौर आना शुरू हो जाता है और चारों ओर सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प, मंद मंद बहती पवन और ऊपर से कोकिला की कूक सबको आनंद से भाव विभोर कर देती है। इस साल बसंच पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन है।

शुभ कार्य एवं विद्यारंभ के लिए विशेष
माघ मास का विशेष धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। इसी माह में आने वाली बसंत पंचमी को किसी शुभ कार्य के लिए सही समय माना जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन मुख्य रूप से विद्यारंभ एवं गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

जानिए मां सरस्वती के अवतरण की कहानी
शिक्षाविद् एवं आध्यात्म के जानकार सत्य प्रकाश मिश्र से. नि.प्रधानाचार्य ने मां सरस्वती के अवतरण की पौराणिक कथा बताई है। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी एक बार पृथ्वी भ्रमण पर निकले। इधर उधर घूमते-घूमते उन्हें अपनी रचना में कुछ कमी नजर आई।

चारों तरफ वातावरण एकदम शांत और निस्तेज था। कहीं से किसी भी तरह की कोई आवाज एवं वाणी नहीं थी। तब जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के आदेश से ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़का। इस जल से एक तेजपुंज प्रकट हुआ जो धीरे धीरे एक चतुर्भुज नारी के रूप में परिणत हो गया।

अद्भुत शक्ति वाली उस नारी के एक हाथ में वीणा, दूसरे में मुद्रा एवं अन्य हाथों में पुस्तक व माला थी। भगवान ने उस नारी से वीणा बजाने का आग्रह किया। वीणा की धुन के कारण ही पृथ्वी के सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हुई। तब उस देवी को सरस्वती का नाम दिया गया। देवी सरस्वती ने वाणी सहित सभी आत्माओं को ज्ञान एवं बुद्धि प्रदान की। संगीत की उत्पत्ति के कारण मां सरस्वती को संगीत की देवी के रूप में भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी पर जानिए पीले रंग का महत्व
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व माना जाता है। पीला रंग शुद्ध, सादगी, निर्मलता और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। पीले कपड़े पहनकर, पीले फूल अर्पण कर मां शारदा की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन पीली चीजों का प्रयोग करना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होकर बुद्धि, विवेक और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीला रंग दिमाग को सक्रिय रखता है, जिससे मानसिक अवसाद दूर होता है। मस्तिष्क में उठने वाली तरंगे खुशी का एहसास कराती हैं। इस कारण आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। पीला रंग सूर्य के प्रकाश का रंग है जो शक्ति का प्रतीक है, यह तारतम्यता, संतुलन, पूर्णता एवं एकाग्रता प्रदान करता है।

मां शारदा के पूजन का शुभ मुहूर्त
आचार्य पंडित दिवाकर पचौरी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 2.43 बजे प्रारंभ होकर 14 फरवरी दोपहर 12.10 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। मां सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी को सूर्योदय से 3 घंटे तक बन रहा है। इसी के अनुसार सभी जातक पूजन कर सकते हैं।

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