Kanpur: गंगा में डूबा रिवर फ्रंट का सपना; ठंडे बस्ते में गई फाइल... नौ साल पहले बनी थी योजना, हो रही बेरूखी का शिकार

गंगा किनारे अटल घाट से सिद्धनाथ घाट तक बनाया जाना है रिवर फ्रंट

Kanpur: गंगा में डूबा रिवर फ्रंट का सपना; ठंडे बस्ते में गई फाइल... नौ साल पहले बनी थी योजना, हो रही बेरूखी का शिकार

कानपुर, अमृतविचार। शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साबरमती और गोमती नदी की तर्ज पर अटल घाट से सिद्धनाथ घाट तक गंगा रिवर फ्रंट बनाने की योजना दम तोड़ गई है। सीएम योगी की पहल पर वर्ष 2022 में योजना का प्रस्ताव नए सिरे से तैयार करने की केडीए ने शुरुआत की थी, लेकिन एक बार फिर फाइल ठंडे बस्ते में चली गई है। 

पूर्व मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने इस योजना के लिए केडीए को नोडल एजेंसी बनाने की स्वीकृति दी थी। इसके साथ ही सिंचाई विभाग या पर्यटन विभाग से प्रस्ताव तैयार कराने पर हामी भरी थी। लेकिन, आज तक इस पर दोनों विभागों ने कोई काम आगे नहीं बढ़ाया है।
   
शहर में पर्यटन की नई छटा बिखेरने के लिए गंगा बैराज से जाजमऊ तक 12 किलोमीटर के क्षेत्र को हरीतिमा युक्त पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जाना है। इसके तहत यहां  मनोरंजक गतिविधियों के साथ तटों के किनारे पार्क, बच्चों के लिए झूले, रेस्टोरेंट बनाए जाने हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, लैंडस्केपिंग, जॉगिंग ट्रैक, पाथ-वे के साथ ही घाटों पर फूड-कोर्ट भी बनना है। 

इससे यहां आने वाले पर्यटकों को घूमने और बैठने के लिए बेहतर स्थान उपलब्ध हो सकेगा। जॉगिंग और साइकिलिंग ट्रैक समेत लैंडस्केपिंग बनाने की भी योजना थी, ताकि  लोग सुबह-शाम आकर गंगा नदी के किनारे टहल सकें। लेकिन अधिकारियों की हीलाहवाली  और बजट का प्रावधान न हो पाने की वजह से योजना आगे नहीं बढ़ सकी है।

गंगा की लहरों में क्रूज भी चलता

शहर में अभी गंगा के घाटों पर बोट व नाव चल रही हैं। केडीए ने गंगा बैराज पर बोट क्लब भी तैयार किया है। जहां लोग पिकनिक मनाने जाते हैं। लेकिन गंगा रिवर फ्रंट बनने के बाद गंगा नदी में बड़ी बोट या वाराणसी की तर्ज पर क्रूज का भी संचालन किया जाने की बात कही गई थी। इससे लोग 12 किलोमीटर के क्षेत्र का भ्रमण इसके माध्यम से करते हुए गंगा की लहरों के साथ घाटों की खूबसूरती निहार सकते । लेकिन यह सब फिलहाल कागजों से बाहर नहीं आ सका है। 

नौ वर्ष पहले बनी योजना में होना था बदलाव

केडीए ने गंगा रिवर फ्रंट की योजना नौ वर्ष पहले बनाई थी। इस पर 300 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव किया गया था। गंगा के किनारे 1100 एकड़ जमीन भी चिह्नित करके मार्जिनिल बांध बनाने का प्रस्ताव किया गया था। लेकिन इस पर जल संसाधन मंत्रालय से स्वीकृति नहीं मिलने और देरी होने की वजह से केडीए को इस प्रस्ताव से पीछे हटना पड़ा था। 2022 में प्रोजेक्ट का खाका फिर से तैयार करने की पहल हुई लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी है।

गंगा रिवर फ्रंट की योजना में जैसे ही उच्च अधिकारियों की ओर से निर्देश मिलेंगे काम तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा - शत्रोहन वैश्य, सचिव, केडीए

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