मुरादाबाद : जिला अस्पताल को चिकित्सकों कमी, कैसे हो मरीजों का इलाज?

एमआरआई भवन बनकर तैयार, मशीन का हो रहा इंतजार, ट्रॉमा सेंटर में भी नहीं है न्यूरो सर्जन की तैनाती

मुरादाबाद : जिला अस्पताल को चिकित्सकों कमी, कैसे हो मरीजों का इलाज?

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल में काफी समय से चिकित्सकों की कमी है। जिसके चलते कई गंभीर बीमारियों का इलाज जिला अस्पताल में नहीं हो पाता है। वैसे तो जिला अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर, एमआरआई व आईसीयू भवन तो बने है, लेकिन चिकित्सकों और मशीनों के कारण मरीजों को निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में प्रतिदिन जनपद व आसपास के जिलों से मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। छोटी बीमारियों व आपरेशन से मरीज ठीक भी होते है। लेकिन, गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को जिला अस्पताल से रेफर करना पड़ता है। लेकिन, अगर जिला अस्पताल कुछ बड़ी सुविधाओं से युक्त हो जाए तो गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि जनपद में कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। जिसके कारण वह लोग निजी अस्पतालों में महंगा उपचार कराने को मजबूर हैं।

समस्या एक : जिला अस्पताल में पिछले सात माह पहले ट्रॉमा सेंटर का निर्माण तो हो गया था। लेकिन अभी तक उसमें न्यूरो सर्जन चिकित्सक नियुक्त नहीं किया गया। जिसके चलते हेड इंजरी वाले मरीजों को रेफर करना पड़ता है। अगर ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो सर्जन की नियुक्ति हो जाए जो इस समस्या से निजात मिलेगी।


समस्या दो : कोरोना महामारी की दूसरी लहर में जिला अस्पताल में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से एमसीएच विंग में आईसीयू बनवाया गया था। लेकिन, आईसीयू में आज तक चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं की गई। जिस कारण यहां लगी मशीनें और वेंटिलेटर शो पीस बने हुए है। जिसके चलते जिला अस्पताल में सांस की गंभीर बीमारी का कोई मरीज आता है तो उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। जोकि एक बड़ी समस्या है।

समस्या तीन : जिला अस्पताल में कई सालों पहले बर्न वार्ड बनकर तैयार है। लेकिन, आज तक प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्लास्टिक सर्जन न होने के कारण गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है। प्लास्टिक सर्जन की तैनाती होने से इस समस्या का समाधान होगा।

समस्या चार : वैसे तो जिला अस्पताल में पिछले दो साल पहले एमआरआई भवन का निर्माण करा दिया गया है, लेकिन आज तक एमआरआई भवन में मशीन नहीं लगाई गई है। जिसके कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में हजारों रुपये खर्च कर एमआरआई कराना पड़ता है।


एमआरआई भवन में जल्द ही एमआरआई मशीन स्थापित की जाएगी। इसके अलावा न्यूरो सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट न होने का मामला शासन के संज्ञान में है। शासन स्तर से विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होगी। - डॉ. राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक

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