बरेली: एक ही टीके से होगी भेड़-बकरी में पीपीआर और चेचक की रोकथाम

आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने दोनों बीमारियों के लिए तैयार किया संयुक्त टीका

बरेली: एक ही टीके से होगी भेड़-बकरी में पीपीआर और चेचक की रोकथाम

बरेली, अमृत विचार। भेड़-बकरी में होने वाली पीपीआर और चेचक बीमारी की रोकथाम के लिए अब दो नहीं एक ही टीके का इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिकों ने संयुक्त टीका विकसित किया है। इस टीके को वर्ष 2023 में तैयार किया गया था। इस टीके को हैदराबाद की हेस्टर बायोसाइसेंस कंपनी को हस्तांतरित किया गया है।

वैज्ञानिकों के अनुसार पेस्टे-डेस-पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और गोटपॉक्स (बकरी चेचक) अत्याधिक संक्रामक रोग हैं, जो मुख्य रूप से बकरियों और भेड़ों को प्रभावित करते हैं, इस बीमारी के संक्रमण से मृत्यु दर अधिक होती है। इन रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण ही एक मात्र उपाय है। आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने पहले इन दोनों बीमारियों के लिए दो टीके विकसित किए थे। अब दोनों बीमारी के लिए संयुक्त वैक्सीन में स्वदेशी पीपीआर और जीटीपीवी स्ट्रेनो का उपयोग किया गया है। जिससे दोनों रोगों के विरुद्ध पशुओं को प्रतिरक्षा मिलेगी।

संस्थान के निदेशक डा त्रिवेणी दत्त ने कि दोनों बीमारियों के लिए संयुक्त वैक्सीन संस्थान के वैज्ञानिकों के लिए बड़ी उपलब्धि है। अब हेस्टर कंपनी आवश्यक नियमों की स्वीकृतियों के बाद इस टीके का उत्पादन शुरू करेगी, जो पशुपालकों को जल्द उपलब्ध होगी। डाॅ अनुज चौहान ने बताया की पीपीआर-गोटपॉक्स संयुक्त वैक्सीन को 65 लाख रुपये लाइसेंस शुल्क और पांच प्रतिशत रॉयल्टी की लाइसेंस शर्तों के साथ 10 साल की अवधि के लिए हेस्टर बायोसाइसेंस कंपनी को हस्तांतरित किया गया है।

पीपीआर व बकरी चेचक का प्रकोप भारत के अलावा उत्तरी और मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिम, मध्य पूर्व और मध्य एशिया के देशों में काफी रहता है। इस संयुक्त वैक्सीन के विकसित होने से आईवीआरआई के टीके विदेशों में भी बिक्री होने की संभावना है। इस टीके को विकसित करने वाली टीम में वैज्ञानिक डाॅ मुथु चेलवन, डाॅ. ज्ञान वेल, डाॅ. रामाकृष्णा, डाॅ. अमित कुमार, डाॅ. चंद्रशेखर का योगदान रहा।

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