बरेली: ब्लैकमेलिंग केस...सभी आरोपियों के फोन चालू, फिर भी पता नहीं लगा पा रही पुलिस
दरोगा-सिपाही और तीनों फर्जी पत्रकारों का 10 दिन बाद भी सुराग नहीं, सवालों में घिरे लगातार दबिश दिए जाने के दावे
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बरेली, अमृत विचार। बेकरी मालिक को ब्लैकमेल करने के मामले में फरार दरोगा-सिपाही और फर्जी पत्रकारों के दस दिन बाद भी गिरफ्तार न होने के कारण अब पुलिस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, लगभग सभी आरोपी लगातार अपने फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन फिर भी गिरफ्तारी के लिए बनाई गई टीमें उनकी लोकेशन ट्रेस न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रही हैं। पुलिस ने अब तक सिर्फ उस नाबालिग लड़की को गिरफ्तार किया है जिसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर यह गैंग ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल कर रहा था।
परसाखेड़ा में बेकरी चलाने वाले शाहबाद (रामपुर) के मुस्तकीम ने फर्जी पत्रकार नावेद, चांद अल्वी और गुलाम साबिर आजाद से नाबालिग लड़की को होटल में उसके पास भेजने के लिए दो हजार रुपये में सौदा किया था। लड़की के कुछ देर होटल में मुस्तकीम के पास रुककर चली आई। इसके बाद फर्जी पत्रकारों के साथ थाना किला के सिपाही कोलेंद्र ने मुस्तकीम को धर लिया था। उसे किला चौकी लाकर उससे सात लाख रुपये मांगे गए। चौकी इंचार्ज सौरभ कुमार ने सिपाही कोलेंद्र और तीनों फर्जी पत्रकारों के साथ उसे रकम लाने के लिए उसकी बेकरी पर भेजा। पीछे खुद भी बेकरी पर पहुंच गया, लेकिन इसी बीच मुस्तकीम फोन यूपी 112 को बुलाने में कामयाब हो गया। इसके बाद चौकी इंचार्ज, सिपाही, तीनों फर्जी पत्रकार और लड़की के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
अब तक 20 से ज्यादा दबिश देने का दावा
अफसरों का दावा है कि दरोगा, सिपाही और फर्जी पत्रकारों की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगातार दबिश दे रही हैं। एक टीम दूसरे जिलों में कई जगह दबिश देकर लौट आई है, दूसरी टीम अब भी दूसरे जिलों में उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। पुलिस के अनुसार आरोपियों के 20 से ज्यादा संभावित ठिकानों पर अब तक दबिश दी गई है लेकिन अब तक उनका कुछ पता नहीं लगा है।
लगातार वीडियो शेयर कर रहा है गुलाम साबिर
पुलिस एक तरफ आरोपियों की लोकेशन ट्रेस न होने की बात कह रही है, दूसरी तरफ आरोपी गुलाम साबिर एक के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है। इन वीडियो में वह खुद को साजिश रचकर फंसाए जाने का आरोप लगा रहा है। उधर, इंस्पेक्टर किला हरेंद्र सिंह का कहना है कि दोनों टीमें लगातार दबिश दे रही हैं। अभी कोई आरोपी हाथ नहीं आया है। जल्द सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
कानून का नजरिया... पीड़ित तो किशोरी है, बेकरी मालिक नहीं
फौजदारी के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार भटनागर का कहना है कि बेकरी मालिक को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे दरोगा-सिपाही और फर्जी पत्रकारों ने किशोरी को बहला-फुसलाकर इस्तेमाल किया है। बेकरी मालिक जो मुकदमे का वादी है, उसने भी दो हजार रुपये देकर किशोरी को होटल के कमरे में बुलाने की बात खुद स्वीकर की है। इस लिहाज से इन सभी पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। कानून में यह कहीं नहीं लिखा है कि वादी आरोपी नहीं बन सकता। पुलिस को इस मामले में किशोरी का धारा 164 के तहत बयान भी दर्ज कराना चाहिए। उसे नौकरी दिलाने के बहाने इस तरह का काम कराने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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