बहराइच: अज्ञातवास में पांडवों ने यहां की थी शिवलिंग की स्थापना, जिले के इन शिव मंदिरों के दर्शन को दूर-दूर से आते हैं भक्त

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Published By Sachin Sharma
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कल महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए उमड़ेगी भीड़, रहेगी कड़ी सुरक्षा

बृजेश पाठक, नानपारा, बहराइच, अमृत विचार। जिले में स्थित पांडव कालीन मंदिरों की स्थापना पांडवों की ओर से अज्ञातवास के समय की गई थी। जिसमें पूजा अर्चना के लिए जिले के साथ पड़ोसी जनपद और नेपाल के श्रद्धालु भी आते हैं। वृद्ध लोगों के मुताबिक पांडवों द्वारा स्थापित इन शिव मंदिरों में भगवान शिव को मनाने के लिए जल और अन्य सामग्री अर्पण के लिए भीड़ रहती है।

आपको बता दें कि महाशिवरात्रि पर्व कल शुक्रवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के मौके पर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में स्थित पांडव कालीन शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहेगी। शहर के छोटी बाजार स्थित पांडव कालीन सिद्धनाथ शिव मंदिर की काफी मानता है। जिसके चलते सुबह तीन बजे से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। यह सिलसिला पूरे दिन जारी रहता है। नानपारा के मसूदनगर गांव में स्थित पांडव कालीन शिव मंदिर में काफी भीड़ रहती है।

इसके अलावा पयागपुर में स्थित बागेश्वर नाथ शिव मंदिर और नवाबगंज में स्थित मंगली नाथ शिव मन्दिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ एकत्रित होती है। वृद्ध लोगों के मुताबिक पांडवों ने अज्ञातवास के समय शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके चलते जिले के तीन शिव मंदिरों में काफी भीड़ रहती है। यहां पर सावन माह के साथ महा शिवरात्रि के मौके पर सुबह से लेकर शाम तक दूर दूर से लोग भगवान शिव को जल अर्पित करने के लिए आते हैं।

ऐसी मान्यता है कि पांडवों द्वारा स्थापित शिव मंदिर में जलाभिषेक करने से भगवान शिव काफी खुश होते हैं। इन मंदिरों में दूसरे जनपद के लोग ही जल चढ़ाने के लिए आते हैं।

स्वयंभू है भोलेनाथ का मंदिर

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नानपारा तहसील क्षेत्र में स्थित जंगली नाथ शिव मंदिर पांडव कालीन है। यह मंदिर स्वयंभू भोलेनाथ का है। जिसके चलते यहां काफी भीड़ रहती है। लोगों की मांग यहां जरूर पूरी होती है।

                                                                                                      अनिल शास्त्री, मंदिर कमेटी अध्यक्ष

इसलिए पड़ा जंगली नाथ नाम

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नानपारा तहसील के मसूद नगर बस्थनवा गांव में स्थित पांडव कालीन शिव मंदिर कई सौ साल पहले हुई थी। 300 वर्ष पूर्व मंदिर को भाव स्वरूप दिया गया था। मंदिर को पूर्वज जंगली गिरी ने इसको स्वरूप दिया था। जिसके चलते मंदिर का नाम जंगली नाथ शिव मंदिर पड़ा।

                                                                                                                          मून बाबा, मंदिर पुजारी

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