Kanpur: 40 साल तक रावण बनते रहे, अब बस सुप्रसिद्ध रावण अभिनेता अवध दीक्षित करेंगे अभिनय का समापन

Kanpur: 40 साल तक रावण बनते रहे, अब बस सुप्रसिद्ध रावण अभिनेता अवध दीक्षित करेंगे अभिनय का समापन

कानपुर, अमृत विचार। घाटमपुर तहसील क्षेत्र के तेजपुर गांव के निवासी एवं आंचलिक पत्रकार अवध दीक्षित रविवार को रामलीला मंच से रावण अभिनय के समापन की घोषणा करेंगे। उन्होंने अपने गांव तेजपुर के मंच पर आखिरी बार अभिनय करने की घोषणा की है। उन्होंने दशानन के अभिनय में काफी ख्याति अर्जित की। पेश है उनकी अभिनय यात्रा के बारे में खास रिपोर्ट।

रावण अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि उनके गांव तेजपुर में प्रतिवर्ष दो दिवसीय रामलीला का आयोजन हुआ करता था। लेकिन बीच में करीब 25 वर्ष तक लगातार बंद रहा। जिसे पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने वर्ष 1983 में अपने हमजोली मित्रों के साथ मिलकर पूरी रामलीला मंडली तैयार की। 

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वर्ष 1991 में अपने ग्राम तेजपुर और उसी वर्ष ग्राम सांखाहारी के मंच पर अभिनय किया। जहां बाणासुर धनेस शुक्ला, जनक रमेश त्रिवेदी, विश्वामित्र उमा बाबा एवं परशुराम कृष्ण मुरारी त्रिपाठी जैसे श्रेष्ठ कलाकारों का समागम था। बताया कि यहीं से उनको रावण अभिनेता के रूप में पहचान मिली।

उन्होंने बताया कि उन्होंने अभिनय में किसी को अपना गुरु नहीं बनाया। लेकिन पड़ोसी ग्राम तिलसड़ा निवासी सुप्रसिद्ध जनक अभिनेता शिव शंकर लाल पांडेय ने उन्हें अभिनय के लिए प्रेरित किया। रावण के अभिनय में उन्होंने ग्राम मटियारा (बिधनू) निवासी सुंदरलाल त्रिपाठी और रायपुर (पतारा) निवासी राम प्रकाश त्रिपाठी को अपना आदर्श माना। 

वहीं, बाणासुर अभिनेताओं में उन्होंने घाटमपुर निवासी स्वर्गीय तुलसीराम गुप्ता और शेखूपुर निवासी रघुवंशी के अभिनय की सराहना की। अवध दीक्षित का अभिनय अन्य अभिनेताओं से अलग हटकर रहा है। जिसके चलते रामलीला क्षेत्र में उनकी अलग पहचान बनी। 

उन्होंने बताया कि मंच पर उनकी कोशिश रहती है कि सामने वाला अभिनेता अपने से श्रेष्ठ है, उसके बड़प्पन एवं सम्मान को ठेस न पहुंचे। उन्होंने अभिनय को व्यवसायिक नहीं बनाया। अवध दीक्षित ने बताया कि रामलीला जगत में चार दशक का समय बिताने के बावजूद शिष्यों की फौज नहीं खड़ी की। बल्कि, रावण के अभिनय में शिष्य के रूप में एकमात्र ग्राम शाखाहारी (घाटमपुर) निवासी ओमप्रकाश त्रिवेदी को तैयार किया है। जिसका वर्तमान में उत्तर भारत में डंका बज रहा है। 

रावण अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीला गोस्वामी तुलसीदास की  रामचरित मानस पर आधारित है। जिसका हर प्रसंग मर्यादा से बंधा हुआ है। इसके बावजूद वर्तमान में रामलीला के नाम पर मंच से फूहड़ कैसेट नृत्य होते हैं।

वह कहते हैं कि रामलीला के दृश्यों को काटकर बीच में अश्लीलता परोसी जा रही है। जिससे वह व्यथित हैं। इसी के चलते उन्होंने समय से पूर्व अभिनय त्यागने का निर्णय लिया। उन्होंने पात्रों में बढ़ रही नशाखोरी की प्रवत्ति पर  चिंता जताई। जबकि, रामलीला की मर्यादाओं में बंधकर अभिनय करने वाले पात्रों की सराहना भी की।

अवध दीक्षित 31 मार्च (रविवार) को अपने ग्राम तेजपुर विकास खंड पतारा जनपद कानपुर नगर से अभिनय समापन की घोषणा कर रहे हैं। जिसमें लक्ष्मण परशुराम संवाद के दौरान अगले दिन (सोमवार) की सुबह 8:00 बजे वह मंच पर रावण के अभिनय से विदाई लेने की घोषणा करेंगे। उन्होंने बताया कि बताया कि इस पल का साक्षी बनने के लिए उनके प्रशंसकों के साथ इष्टमित्र भी उपस्थित रहेंगे।

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