हल्द्वानी: पिता ने देश के त्याग दी जवानी, बेटी ने माता-पिता के लिए जीवन

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। पिता ने देश को जवानी समर्पित कर दी और सेना से सेवानिवृत्ति होने के बाद जब वह घर लौटे तो सेवा के लिए घर में बेटा नहीं था। ऐसे में बेटियों ने जिम्मेदारी निभाई, लेकिन जब माता-पिता का स्वर्गवास हुआ तो बेटियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। अधिकारियों के सालों चक्कर काटे और कुछ ने ताने भी दिए। हालांकि अब जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र की मदद से ऐसी 39 बेटियों को आश्रित पेंशन मिलने लगी है। 

ऐसी ही एक बेटी नीतू नेगी शनिवार को पुनर्वास केंद्र पहुंची और उप सैनिक कल्याण अधिकारी पुष्कर सिंह भंडारी से मिलकर भावुक हो गई। नीतू के पिता सेना से सेवानिवृत्त थे और करीब तीन वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया था। नीतू की मां भी नहीं रहीं। नीतू ने खुद तो शादी नहीं की, लेकिन छोटी बहन के हाथ जरूर पीले किए।

हालांकि पिता की मृत्यु के बाद पेंशन का हक पाने के लिए नीतू ने कई अधिकारियों के चक्कर काटे। अंत में वह पुष्कर सिंह भंडारी से मिली और शनिवार को जब वह दोबारा पुष्कर सिंह भंडारी से मिली तो भावुक हो गई। अब नीतू की पेंशन आनी शुरू हो गई है। नीतू के खाते में 6 लाख 12 हजार रुपये आ चुके हैं और हर माह उन्हें 26600 पेंशन मिलनी शुरू हो गई है। 

कुछ यही कहानी गौलापार में रहने वाली नीमा दानू की है। नीमा ने भी माता-पिता की सेवा के लिए शादी नहीं की। उन्होंने भी पेंशन का हक पाने के लिए खूब परिश्रम किया। अब उनकी पेंशन संबंधी कार्रवाई भी पूरी हो चुकी है। उप जिला सैनिक कल्याण अधिकारी पुष्कर सिंह भंडारी ने बताया कि उन्होंने पिछले करीब ढाई साल में ऐसी 39 बेटियों की पेंशन लगवाई, जो सालों से यहां से वहां चक्कर काट रही थीं। 

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