हल्द्वानी:  मुद्दे … जिन्होंने ‘माननीय’ बनाए इस आम चुनाव मुद्दे नहीं बन पाए

हल्द्वानी:  मुद्दे … जिन्होंने ‘माननीय’ बनाए इस आम चुनाव मुद्दे नहीं बन पाए

हल्द्वानी, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव-2024 का बिगुल फुंक चुका है। इसी के साथ हर दल अपने-अपने मुद्दे लेकर चुनावी समर में उतर गए हैं। किसी का मुद्दा हिन्दुत्व तो किसी का मुद्दा फासीवादी ताकतों को खत्म करना है। ऐसे मुद्दे जिन्होंने कई नेताओं को ‘माननीय’ बना दिया, इस चुनावी शोर में दब गए हैं। ये मुद्दे हैं जिनकी सीढ़ियां चढ़कर लोगों ने राजनीति शुरू की और विधायक-सांसद तक बन गए हैं। 

नैनीताल संसदीय सीट के लिए जरूरी ये वह विकास योजनाएं हैं जिनका सकारात्मक असर सिर्फ एक सीट नहीं समूचे कुमाऊं पर होना है। इन योजनाओं के साकार होने पर जनता को बुनियादी जरूरतों रोजगार, पेयजल वगैरह से नहीं जूझना होगा। वहीं प्रतिभाओं को भी तराशने को मौका मिलेगा।

बावजूद इसके ये मुद्दे राजनैतिक दलों के और निर्दलीय उम्मीदवारों की मुद्दों की फेहरिस्त में शामिल नहीं हैं। यदि जगह मिली भी है तो सबसे निचले पायदान पर। हां जब इन मुद्दों की सरकारी कार्यवाही में फाइल आगे बढ़ती है तो श्रेय लेने वालों की होड़ मच जाती है।  

जमरानी बांध
वर्ष 1975-76 में जब जमरानी बांध का शिलान्यास किया गया था तब इसकी लागत 61.25 करोड़ थी। 48 साल में इसकी लागत लगभग 62 गुना बढ़कर 3808 करोड़ हो गई है, लेकिन यह योजना अभी तक कागजों में ही दौड़ रही है। हल्द्वानी के लिए सबसे जरूरी इस बांध के बनने से पानी और बिजली किल्लत से छुटकारा मिलेगा। केंद्र सरकार ने भी इस योजना को पीएम कृषि सिंचाई योजना में मंजूरी दी है। इस प्रोजेक्ट में 1557 करोड़ केंद्र सरकार देगी, जबकि शेष राज्य सरकार को देना होगा। पिछले पांच दशकों में चुनावी मुद्दा बना जमरानी बांध इस आम चुनाव में साकार नहीं हो सका है। वर्तमान में स्थिति यह है कि आचार संहिता लागू होने की वजह से डैम की निविदाएं नहीं हो सकी हैं। अब नई सरकार के बाद इस प्रोजेक्ट में तेजी आने की उम्मीद है।   

आईएसबीटी
कुमाऊं में आने वाले पर्यटकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की परिवहन सुविधाएं मुहैया कराने के मकसद से तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2016 में गौलापार में आईएसबीटी की नींव रखी थी। इसका मकसद हल्द्वानी शहर को जाम के झाम से बचाना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना, राज्य का राजस्व वृद्धि था। बाद में जहां इसकी नींव रखी गई, वहां की जमीन में कब्र निकलने और वर्ष 2017 में सत्ता बदलने के बाद यह प्रोजेक्ट भी खटाई में पड़ गया। लगभग 8 साल बाद आईएसबीटी बनाने के लिए सरकार जमीन तक नहीं तलाश सकी है। हालांकि मुक्त विवि के समीप जमीन तलाशी गई है, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण नहीं हो सकी है। इस वजह से आईएसबीटी अभी भी सिर्फ वादों-दावों में ही दिखाई देता है। 

अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम
गौलापार में 30.20 हेक्टेयर वन भूमि पर 225 करोड़ से बने इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की नींव 9 नवंबर 2014 को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रखी थी। 18 दिसंबर 2016 को स्टेडियम में क्रिकेट ग्राउंड का शुभारंभ हुआ। इस स्टेडियम का मकसद था कि सिर्फ नैनीताल जनपद नहीं, बल्कि कुमाऊं भर की खेल प्रतिभाओं को तराशा जाएगा, लेकिन यह स्टेडियम कोविड-19 का क्वारंटाइन सेंटर बन गया। जहां खेल होने थे, वहां कोविड-19 रोकने को इस्तेमाल हुआ उपकरणों का कबाड़ रखा है। वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय रेसलर द ग्रेट खली की फाइट के अतिरिक्त आज तक 8 सालों बाद एक भी बड़ा आयोजन नहीं हो सका। इस साल राष्ट्रीय खेल भी प्रस्तावित है फिर भी बुनियादी सुविधाओं नहीं जुटा जा सके। बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी खेल विवि बनाने की घोषणा की थी बावजूद इसके स्थिति जस की तस है।