हल्द्वानी: शीशमहल के तनुज पाठक ने पास की यूपीएससी परीक्षा 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की वर्ष 2023 की सिविल सेवा परीक्षा में शहर के शीशमहल, काठगोदाम निवासी तनुज पाठक ने 72वां स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्होंने कहा कि दो बार साक्षात्कार में पहुंचने के बावजूद असफल होने पर निराश हुआ लेकिन अपने ऊपर विश्वास भी था। 

सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे आने के बाद मूलरूप से अल्मोड़ा के रहने वाले तनुज के शीशमहल स्थित घर पर बधाइयां देने वालों का तांता लगा है। नैनीताल रोड स्थित एक निजी स्कूल से 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने साल 2014-18 तक आईआईटी रुड़की से मेटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

इसके बाद वह बेंगलुरु स्थित एक निजी कंपनी में अच्छी तनख्वाह पर नौकरी करने लगे। लेकिन, वर्ष 2018-20 तक दो साल नौकरी करने के बाद उन्होंने हल्द्वानी आकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य आईएएस बनने का ही था, इसलिए नौकरी छोड़कर घर पर रहकर परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दीं।

बताया कि वह रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करते थे। कहा कि बेसिक पर ही ज्यादा फोकस किया और एनसीईआरटी की किताबों व दो-तीन अंग्रेजी अखबारों का निरंतर अध्ययन किया। साथ ही करेंट अफेयर्स पर जोर दिया और यूपीएससी के पुराने पेपरों का गहराई से अध्ययन किय। 

तनुज ने कहा कि मेहनत, धैर्य, सोशल मीडिया का सदुपयोग और लगन से उन्होंने यह सफलता प्राप्त की। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य, बुद्ध के विचारों से उन्हें अत्यधिक ऊर्जा मिलती है। बताया कि आईएएस बनने के लिए कॉलेज के सीनियर छात्रों से प्रेरणा और माता-पिता का भरपूर सहयोग मिला। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया। उनके पिता त्रिलोचन पाठक हल्दूचौड़ स्थित एक निजी कंपनी में मैनेजर पद पर कार्यरत हैं और माता आशा पाठक बरेली रोड स्थित गांधी इंटर कॉलेज में शिक्षिका हैं। 

काफी चर्चा के बाद तैयारी के लिए भरी हामी 
माता आशा पाठक बताती हैं कि तनुज बेंगलुरु में अच्छी सैलरी पर नौकरी कर रहा था लेकिन एक दिन उसने अचानक नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने की इजाजत मांगी। परिवार में इस पर काफी चर्चा हुई तो पिता त्रिलोचन पाठक की राय के बाद तनुज को तैयारी छोड़ने की इजाजत मिल गई। आशा पाठक कहती हैं कि आज मेरे लिए सबसे अधिक खुशी का दिन है, यह मेरी आन, मान, शान और जान है। इसने हमें गौरवान्वित किया है।