हाईकोर्ट : दो मातृत्व अवकाशों के बीच दो वर्ष का अंतर अनिवार्य बताना कानून की स्पष्ट अवमानना
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अध्यापिका को दूसरी मातृत्व अवकाश से इनकार किए जाने पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अमरोहा को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।
कोर्ट ने कहा कि लगातार स्पष्ट न्यायिक आदेशों के बावजूद दो मातृत्व अवकाशों के बीच दो वर्ष का अंतर अनिवार्य बताना कानून के विपरीत है और ऐसी कार्रवाई प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण प्रतीत होती है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने श्रीमती नगमा चौधरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नोट किया कि इस मुद्दे पर कोर्ट के अनेक निर्णय पहले से मौजूद हैं, जिनमें स्पष्ट किया जा चुका है कि दूसरे मातृत्व अवकाश के लिए दो साल का अंतर आवश्यक नहीं है।
इसके बावजूद संबंधित अधिकारी द्वारा याची का आवेदन खारिज किया गया, जिसे कोर्ट ने कानून की स्पष्ट अवहेलना बताया। कोर्ट ने विशेष रूप से श्रीमती अनुपम यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रशासन को बार-बार स्पष्ट किए गए कानून का पालन करना होगा। इसके बावजूद 15 दिसंबर 2025 को विभाग द्वारा दिए गए अपने हलफनामे में दिए गए निर्देशों में भी वही तर्क दोहराया गया, जिसे कोर्ट ने गंभीर माना।
इस पर कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अमरोहा को निर्देश दिया कि वे 19 दिसंबर 2025 को व्यक्तिगत हलफनामे सहित उपस्थित हों और यह स्पष्ट करें कि उनके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए तथा मामले को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को क्यों न भेजा जाए। मामले की अगली सुनवाई आगामी 19 दिसंबर को सुबह 10 बजे निर्धारित की गई है।
