बागेश्वर: सीएमएस से खफा डॉक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार 

बागेश्वर: सीएमएस से खफा डॉक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार 

बागेश्वर, अमृत विचार। जिला चिकित्सालय में शनिवार को चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार किया तथा सीएमएस डॉ. विनोद टम्टा का घेराव किया। उनका आरोप है कि सीएमएस द्वारा मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने सीएमएस को ज्ञापन सौंपा तथा कार्य व्यवहार में परिवर्तन लाने की मांग की। बाद में सीडीओ द्वारा जांच करके कार्रवाई के आश्वासन के बाद चिकित्सक शांत हुए।

शनिवार को जिला चिकित्सालय के चिकित्सक व अन्य स्टाफ ने सीएमएस डॉ. विनोद टम्टा के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि सीएमएस द्वारा वरिष्ठ चिकित्सकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। आरोप लगाया कि चिकित्सालय में लगे कैमरे का दुरुपयोग किया जा रहा है तथा इसका संचालन रविंद्र अवस्थी द्वारा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अवस्थी द्वारा चिकित्सकों के कार्य में हस्तक्षेप किया जा रहा है। आरोप लगाया कि अकारण ही कई चिकित्सकों व स्टाफ का वेतन रोका जा रहा है जिससे उनका उत्पीड़न हो रहा है उन्होंने रूका हुआ वेतन दिए जाने की मांग की। चिकित्सकों ने मांग की कि तीन चिकित्सकों की कमेटी बनाई जाए जो कि वित्त के अलावा अन्य मामलों में सहमति प्रदान करे इसके बाद ही कार्यवाही की जाए।

इस दौरान पीएमएस संघ के अध्यक्ष डॉ. गिरजा शंकर जोशी, डॉ. राजीव उपाध्याय, डॉ. डीपी शुक्ला आदि चिकित्सक उपस्थित थे। बाद में मुख्य चिकित्साधिकारी आरसी तिवारी ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी जांच के लिए सीएमओ अनुपमा हयांकी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी देवेश चौहान को आदेश दिए गए हैं।

अनुशासन को नहीं पचा पा रहे कुछ चिकित्सक: सीएमएस
सीएमएस डॉ. विनोद टम्टा ने डॉक्टरों के आरोपों को निराधार बताया है। कहा कि उनके द्वारा सभी स्टाफ से अपने ड्रेस कोड में रहने व शालीनता के कपड़े पहनने के आदेश दिए। परंतु कुछ चिकित्सक इसका पालन नहीं कर रहे हैं। जिस पर उनको नियमों का पालन करने को कहा गया। इसके अलावा एक महिला चिकित्सक बिना सूचना के अवकाश में चली गईं तथा पोन स्विच ऑफ कर लिया। जिस पर उनका स्पष्टीकरण लिया गया है।

इसके अलावा एक अन्य चिकित्सक के इमरजेंसी डयूटी से गायब रहने पर कई बार समझाया इसके बाद भी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया गया। जिस पर उसका स्पष्टीकरण लिया गया। सीएमएस ने कहा कि उनके द्वारा समय समय पर चिकित्सकें को मरीजों को बाहर की दवाइयां न लिखने तथा बाहर से रक्त व अन्य परीक्षण न कराने के निर्देश दिए जाते रहे हैं जिसे वे पचा नहीं पा रहे हैं तथा अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।