अल्मोड़ा: पीने के पानी के लिए गांव कस्बों में त्राहि-त्राहि 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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अल्मोड़ा, अमृत विचार। गर्मी बढ़ने के साथ जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल के लिए त्राहि त्राहि मचना शुरू हो गया है। पेयजल आपूर्ति ना होने का सबसे बड़ा खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिन्हें पानी की एक बूंद तक नसीब नहीं हो रही है। मजबूरी वह अपना पूरा दिन आसपास के नदी धारों से पेयजल की व्यवस्था करने की जुगत में बिता रहे हैं। 

अल्मोड़ा जिला मुख्यालय समेत जिले के ग्रामीण इलाकों में पिछले एक महीने से पेयजल की किल्लत बनी हुई है। पानी की आपूर्ति करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई योजनाएं महज सफेद हाथी साबित हो रही है। इन योजनाओं से लोगों को प्रतिदिन एक बाल्टी पानी तक नसीब नहीं हो रहा है।

पेयजल की सबसे अधिक किल्लत का सामना जिले के ग्रामीण इलाकों के लोगों को करना पड़ रहा है। जिले के डोटियाल, रथखाल, सदरा, झिमार, पैंसिया, जालीखान, मौलेखाल, हिनौला, रींची, भतरौंजखान, लमगड़ा, चायखान, सकला, मेरगांव, बख, चौड़ा, डीनापानी, भैंसियाछाना, दन्या, हुना, उड़ियारी, चौखुटिया आदि क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से पेयजल की भारी किल्लत बनी हुई है। स्थानीय लोग आसपास के नदी धारों से जैसे तैसे बर्तन कंधों पर ढोकर पानी की व्यवस्था कर रहे हैं।

जिसमें उनका पूरा दिन व्यतीत हो जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि भीषण गर्मी के बीच विवाह समारोहों का सीजन होने के कारण इन दिनों पानी की खपत अधिक है। लेकिन विभाग ग्रामीणों को जरूरत के मुताबिक पानी तक मुहैया नहीं करा पा रहा है। 

जिससे उनकी मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। लेकिन तमाम शिकायतों के बाद भी विभाग उन्हें राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। हालांकि पेयजल की समस्या को देखते हुए विभाग ने इन दिनों कुछ वाहन किराए पर लेकर टैंकरों के जरिए लोगों को पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की है।

लेकिन इसका लाभ केवल सड़क मार्गों पर रह रहे कुछ ही परिवारों को मिल पा रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की किल्लत बरकरार है। ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारियाें से पेयजल आपूर्ति सुचारू करने की मांग की है। इधर विभाग के अधिशासी अभियंता अरूण सोनी ने कहा है कि पानी की आपूर्ति करने के लिए विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। 

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