प्रयागराज: जांच अधिकारी के डिस्चार्ज ऑर्डर की वैधता को जांच सकता है श्रम न्यायालय

प्रयागराज: जांच अधिकारी के डिस्चार्ज ऑर्डर की वैधता को जांच सकता है श्रम न्यायालय

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रम न्यायालय की शक्तियों को व्याख्यायित करते हुए स्पष्ट किया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 11-ए के तहत जांच अधिकारी की ओर से पारित डिस्चार्ज या डिसमिसल ऑर्डर में दिए गए निष्कर्ष की सत्यता की जांच करने के लिए पर्याप्त शक्ति है।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि श्रमिक को उचित राहत देने के लिए मामले की जांच करते समय श्रम न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों को यह आकलन करने का अधिकार है कि क्या डिस्चार्ज या डिसमिसल ऑर्डर उचित था। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिनियम की यह धारा जांच अधिकारी के तर्क या निष्कर्षों का विरोध करने के कर्मचारियों के अधिकार को कमजोर या प्रतिबंधित नहीं करती है, लेकिन मौजूदा मामले में श्रम न्यायालय, गौतमबुद्ध नगर के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य ना देखते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। उक्त आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकलपीठ ने चरणपाल सिंह के मामले पर विचार करते हुए पारित किया। कोर्ट ने पाया कि याची को विभागीय जांच के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत करने और अपना बचाव करने का पर्याप्त अवसर दिया गया था।

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