नैनीताल: नैनीझील के लिए खतरनाक कॉमन कॉर्प और बिग हेड मछलियों को बाहर निकाला 

नैनीताल: नैनीझील के लिए खतरनाक कॉमन कॉर्प और बिग हेड मछलियों को बाहर निकाला 

नैनीताल, अमृत विचार। नैनी झील के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुकीं बिगहेड और कॉमन कॉर्प मछलियों को निकालने का काम एक बार फिर शुरू कर दिया है। झील की संरचना की रखरखाव व झील को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली एजेंसी लेक एरीएसन के सुपरवाइजर आनंद सिंह कोरंगा ने बताया कि नैनीताल की जीवनदायिनी नैनी झील में करीब 60 प्रतिशत के आसपास कॉमन कॉर्प और बिगहेड मछलियां हैं जो झील के अस्तित्व के लिए खतरनाक हैं।

जिन्हें अब झील से निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिला विकास प्राधिकरण ने झील से मछलियां निकालने के लिए रुद्रपुर की बायो मैनिपुलेशन को 26.45 लाख ठेका दिया है जो इस दौरान नैनी झील में एक किलो से अधिक वजनी बिग हेड और कॉमन कॉर्प मछलियों को निकालने का काम कर रही है। 

बताते चले कि पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला था कि नैनी झील के अस्तित्व के लिए कॉमन कॉर्प मछलियां बेहद खतरनाक हैं, जिन्हें निकाले जाने की आवश्यकता है। वर्ष 2008 में नैनी झील से खतरनाक प्रजाति की कॉमन कॉर्प व बिगहेड मछलियों को निकालने का काम किया गया था, जो कुछ दिन चलने के बाद रुक गया। वहीं बीते वर्ष तत्कालीन जिलाधिकारी धीरज गब्र्याल द्वारा नैनी झील के लिए करवाए गए सर्वे के आधार पर एक बार फिर झील से खतरनाक कॉमन क्राप मछलियों को निकालने के निर्देश दिए थे।

पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में बताया गया कि झील में कॉमन कॉर्प मछली भोजन की तलाश में नैनी झील की सुरक्षा दीवारों को लगातार खोखला कर रही हैं, जिससे झील के किनारे की दीवारों और पहाड़ियों पर भूस्खलन हो रहा है। इन मछलियों को झील से निकाला जाना बेहद आवश्यक है।

कॉमन कॉर्प मछली की प्रजाति दूसरी प्रजाति को अपने साथ पनपने भी नहीं देती है, जो नैनी झील के लिए चिंता का विषय है। कॉमन कॉर्प मछली ने कश्मीर डल झील और मणिपुर लोकटस झील को भी को खत्म कर दिया था। कॉमन कॉर्प प्रजाति की वजह से नैनी झील में कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस भी बढ़ रहा है, जो कि झील की सेहत के लिए ठीक नहीं।

श्रीलंका में पाई जाने वाली मछली की प्रजाति है कॉमन कॉर्प
कॉमन कॉर्प मछली मूल रूप से श्रीलंका में पाई जाने वाली मछली की प्रजाति है जो कई वर्ष पूर्व नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नियंत्रित करने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा नैनी झील में डाली गई थी, लेकिन कॉमन कॉर्प नैनी झील के संरक्षण व संवर्धन के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुई। जिस वजह से इस मछली की झील में उपलब्धता के चलते झील और शहर के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने लगा, जिसको देखते हुए अब कॉमन कॉर्प प्रजाति की मछली को झील से निकला जा रहा है। 

झील मित्र मछलियों को नहीं पनपने देती बिगहेड : यशपाल  
पर्यावरण प्रेमी व नैनीताल एक्वेटिक एंड एडवेंचर (नासा ) के अध्यक्ष यशपाल रावत का कहना है कि झील में काफी संख्या में बिगहेड भारी मात्रा में देखी जा रही है। इन मछलियों के मल से निकले तरल पदार्थों के कारण झील के किनारे में एक परत पैदा करती है जो झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नुकसान दायक है। इसके अलावा है मछली झील की लाभदायक वनस्पति को भी नुकसान पहुंचाती है। इनकी प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण यह तेजी से पनपती है। अन्य मछलियों के अंडों को भी यह नुकसान पहुंचाती है इससे अन्य मछलियों के पनपने में बिगहैड सबसे अधिक बाधा पहुंचाती है। 

झील के पारिस्थितिकी तंत्र को पाली गई महाशीर मछली 
नैनी झील को प्रदूषण रहित रखने के लिए यहां महाशीर, कामन कॉर्प मंगूरा मछलियां पाली गई हैं जो झील के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती हैं, लेकिन वर्ष 2004 में झील में एरेशन करने के दौरान पता चला कि झील को प्रदूषित व नुकसान पहुंचाने वाली बिगहेड, कॉमन कॉर्प व गम्बुशिया मछली भी झील में हैं। झील विकास प्राधिकरण व पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय के बीच करार हुआ कि झील को प्रदूषित करने वाली इन मछलियों को समय समय पर निकाला जायेगा। 2004-05 में गम्बुशिया व बिगहेड मछलियां को निकालने का कार्य शुरू हुआ। झील में अब गम्बुशिया मछली तो नहीं हैं लेकिन बिगहेड मछलियां काफी संख्या में हैं। अब कॉमन कॉर्प व बिगहेड मछली को निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है।