बिहार : शिवहर संसदीय सीट से महिलाओं ने पांच बार की आधी आबादी की आवाज बुलंद, सासंद रमा देवी बेटिकट 

बिहार : शिवहर संसदीय सीट से महिलाओं ने पांच बार की आधी आबादी की आवाज बुलंद, सासंद रमा देवी बेटिकट 

पटना। बिहार में शिवहर संसदीय सीट से महिलाओं ने पांच बार आधी आबादी की आवाज को संसद में बुलंद किया, वहीं इस बार इस सीट से लगातार तीन बार की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रमा देवी को बेटिकट कर दिया गया है। शिवहर संसदीय सीट वर्ष 1977 में अस्तित्व में आया। वर्ष 1977 से वर्ष 2019 तक हुये लोकसभा चुनाव में शिवहर संसदीय सीट से पांच बार महिलाओं ने आधी आबादी की आवाज को संसद में बुलंद किया है। राम दुलारी सिंह दो बार और रमा देवी तीन बार शिवहर की सांसद बनी हैं।

बिहार में अबतक हुये लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक चार बार जीतने वाली रमा देवी को भाजपा ने इस बार के चुनाव में शिवहर से बेटिकट कर दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीटों के तालमेल के तहत शिवहर सीट इस बार जनता दल यूनाईटेड (जदयू) को मिली है। जदयू ने शिवहर सीट से पूर्व सांसद लवली आनंद को चुनावी रणभूमि में उतारा है। 

वहीं, इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया गठबंधन) के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पूर्व मुखिया रितु जायसवाल को चुनावी संग्राम में उतारा है। इस बार के चुनाव में शिवहर एक मात्र सीट है, जहां राजग और इंडिया गठबंधन की महिला प्रत्याशी के बीच चुनावी जंग होगी। यह भी दिलचस्प है कि शिवहर में अबतक हुये लोकसभा चुनाव में पहली बार दो महिला प्रत्याशी के बीच सीधी टक्कर हो रही है। 

वर्ष 1977 के शिवहर लोकसभा सीट पर पहली बार हुये चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर नवाब सिंह के पुत्र ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने जीत हासिल की। इस चुनाव में ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने वर्ष 1971 में पुपरी लोकसभा के सांसद कांग्रेस प्रत्याशी हरिकिशोर सिंह को पराजित किया। आजादी की लड़ाई में शिवहर जिले के लोग जान की बाजी लगाने में पीछे नहीं रहे। इनमें सबसे अहम नाम महुअरिया गांव निवासी ठाकुर नवाब सिंह का है। अंग्रेजों ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने वाले को इनाम देने का एलान किया था, लेकिन अंग्रेजों को उनकी चिता की राख तक नहीं मिली। गोरा बाबू के नाम से चर्चित ठाकुर नवाब सिंह ने अपनी वीरता से अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी थी। 

09 अगस्त, 1942 को करीब एक लाख लोगों के साथ ठाकुर नवाब सिंह ने सीतामढ़ी कचहरी पर तिरंगा फहराया था। इससे गुस्साए अंग्रेजों ने नवाब सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 10 हजार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी।तत्कालीन कमिश्नर टेन ब्रुक ने नवाब सिंह की गिरफ्तारी के लिए सिपाहियों की टीम गठित की, लेकिन वह भूमिगत हो गए। 04 दिसंबर, 1942 को पूर्वी चंपारण के खोरी पाकड़ गांव के पास उनकी मृत्यु हो गई।

ठाकुर नवाब सिंह ने अपनी मौत से पहले अपने साथियों से कहा था कि उनके शव को तत्काल जला दिया जाए ताकि अंग्रेज उन्हें छू न सके। नवाब सिंह की मौत के बाद उनके साथियों ने हुक्म का पालन किया और लालबकेया नदी के संगम पर उनका दाह संस्कार कर दिया था।स्‍वतंत्रता सेनानी ठाकुर नवाब सिंह के नाम पर शिवहर शहर में नवाब हाईस्कूल की स्थापना की गयी है।ठाकुर गिरजानंदन सिंह वर्ष 1952 में शिवहर-बेलसंड, वर्ष 1957 में शिवहर (सु), और वर्ष 1969 में शिवहर के विधायक रहे थे। 

वर्ष 1980 के चुनाव में इंदिरा कांग्रेस की रामदुलारी सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (अर्श) प्रत्याशी हरिकिशोर सिंह को पराजित किया। इससे पूर्व रामदुलारी सिंह ने वर्ष 1962 में पटना लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी।वर्ष 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी रामदुलारी सिंह ने जनता पार्टी के हरिकिशोर सिंह को पराजित किया। वर्ष 1989 में जनता दल प्रत्याशी हरिकिशोर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद ठाकुर युगल किशोर सिंह और पूर्व सांसद राम दुलारी सिंह के पुत्र मधुरेन्द्र प्रसाद सिंह को पराजित किया। 

स्वतत्रता संग्राम सेनानी एवं सहकारिता क्रांति के जनक ठाकुर युगल किशोर सिंह वर्ष 1953 मुजफ्फरपुर-उत्तर पश्चिम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव से पहली लोकसभा के सदस्य चुने गए थे।उनके नाम पर उनके पुत्र मधुरेन्द्र कुमार सिंह ने सीतामढ़ी में 'ठाकुर युगल किशोर सिंह महाविद्यालय' की स्थापना की है। स्वर्गीय ठाकुर युगल किशोर सिंह की पत्नी रामदुलारी सिंह बिहार से राज्यपाल नियुक्ति होने वाली प्रथम महिला रहीं तथा भारत में चंद उन महिलाओं में से हैं जिनकी केरल के राज्यपाल पद पर नियुक्ति हुई। 

रामदुलारी सिंह विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में मंत्री पद पर रही।वह बिहार की पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट थीं। वर्ष 1991 में जनता दल के हरिकिशोर सिंह ने जनता पार्टी के रघुनाथ झा को पराजित किया। कांग्रेस प्रत्याशी रामदुलारी सिन्हा तीसरे नंबर पर रही।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र की पढ़ाई करने वाले हरि किशोर सिंह ने देश-प्रदेश नामक एक पुस्तक भी लिखी थी, इसमें खाड़ी देशों की समस्या, भारत की विदेश नीति एवं अमेरिका की राजनीतिक हालात पर विस्तार से लिखा था।

हरिकिशोर सिंह विदेश राज्यमंत्री और सीरिया में भारत के राजदूत भी रहे हैं। रघुनाथ झा शिवहर विधानसभा सीट से 1972 से लगातार छह बार विधायक रहे हैं। वह वर्ष 1999 में गोपालगंज और वर्ष 2004 में बेतिया से सांसद बने। श्री झा मनमोहन सिंह की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। वर्ष 1996 में समता पार्टी के आनंद मोहन सिंह ने जनता दल प्रत्याशी रामचंद्र पूर्वे को शिकस्त दी। श्री पूर्वे राजद के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के उप सभापति भी रहे हैं।

वर्ष 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी प्रत्याशी आनंद मोहन सिंह ने समता पार्टी के हरिकिशोर सिंह को पराजित किया और दूसरी बार सांसद बने। जनता दल के मोहम्मद अनवारूल हक तीसरे नंबर पर रहे।वर्ष 1999 में राजद के मोहम्मद अनवारूल हक ने बिहार पीपुल्स पार्टी के आनंद मोहन सिंह को शिकस्त दे दी। वर्ष 2004 में राजद के सीताराम सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी मोहम्मद अनवारूल हक को मात दे दी।बिहार पीपुल्स पार्टी के आनंद मोहन सिंह तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2009 में भाजपा की रमा देवी ने बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद अनवारूल हक को शिकस्त दी। 

राजद के सीताराम सिंह तीसरे और कांग्रेस प्रत्याशी लवली आनंद चौथे नंबर पर रही। रमा देवी ने इससे पूर्व वर्ष 1998 में मोतिहारी सीट पर हुये चुनाव में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा था और भाजपा के दिग्गज नेता राधा मोहन सिंह को पराजित किया था। वहीं वर्ष 1994 में बिहार पीपुल्स पार्टी प्रत्याशी आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद ने वैशाली सीट पर हुये उपचुनाव में जनता दल प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा को पराजित किया था। 

पूर्व सांसद कांग्रेस प्रत्याशी उषा सिन्हा तीसरे नंबर पर रही।उषा सिन्हा, पूर्व सांसद कृष्णा शाही की बहन हैं। कृष्णा शाही और उषा सिन्हा दोनों केन्द्र सरकार मे मंत्री रही हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा की रमा देवी ने एक बार फिर बाजी अपने नाम की। भाजपा प्रत्याशी रमा देवी ने राजद के मोहम्मद अनवारूल हक को पराजित किया। वर्ष 2019 में भाजपा की रमा देवी ने राजद के सैय्यद फैजल अली को शिकस्त दी और जीत की हैट्रिक लगायी। जदयू के शाहिद अली खान तीसरे और समाजवादी पार्टी की लवली आनंद चौथे नंबर पर रही।रमा देवी बिहार सरकार में पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं। 

13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज करा रहे बृज बिहारी प्रसाद की अस्पताल के प्रांगण में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। बिहार में महिला राजनेताओं मे सर्वाधिक चार बार जीतने का कीर्तिमान रमा देवी के साथ तारकेश्वरी देवी,रीता वर्मा और कमला कुमारी के नाम दर्ज हैं। शिवहर भगवान शिव की नगरी है।

शिवहर जिले को क्रांतिकारियों की भूमि होने का भी गौरव प्राप्त है। स्वाधीनता की लड़ाई के दौरान वर्ष 1942 में तरियानी छपरा के सपूतों की गोरे सिपाहियों से भिड़ंत हो गई थी। सभी शहीद हो गए थे। शहीदों के नाम स्मारक पर अंकित हैं। शिवहर बिहार के सबसे छोटे जिलों में से एक है। 06 अक्टूबर 1994 को शिवहर जिला अस्तित्व में आया है। अलग जिला बनने से पहले शिवहर, सीतामढ़ी जिले का हिस्सा हुआ करता था। 

शिवहर जिला सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर से घिरा हुआ है। शिवहर का देकुली धाम मंदिर आस्था का केन्द्र माना जाता है। बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान शिवहर सीट पर दो महिला उम्मीदवारों के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा है। इनमें से एक महिला उम्मीदवार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही लवली आनंद हैं तो दूसरी महिला उम्मीदवार रितु जायसवाल है, जो राजद की उम्मीदवार हैं।

शिवहर लोकसभा सीट पर एक चौथाई वैश्य मतदाता हैं और इसे देखते हुए ही राजद ने यहां से वैश्य समुदाय से आने वाली रितु जायसवाल को टिकट दिया है। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( एआईएमआईएम) के टिकट पर पूर्व सांसद सीताराम सिंह के पुत्र राणा रंजीत सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं। राणा रंजीत सिंह के भाई राणा रंधीर सिंह मधुबन से भाजपा विधायक हैं। 

एआईएमआईएम के उम्मीदवार राणा रंजीत सिंह जदयू और राजद दोनों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। शिवहर में राजपूत के वोट अच्छी खासी संख्या में हैं। एआईएमआईएम उम्मीदवार उसमें सेंधमारी कर सकते हैं। वहीं इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार कई बार दूसरे नंबर पर रहा है। ऐसे में यदि एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों में बंटवारा करने में सफल रहती है तो उसका खमियाजा राजद को उठाना पड़ सकता है। 

आनंद मोहन सिंह गोपालगंज के जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में 16 साल तक जेल में बंद रहे थे।आनंद मोहन सिंह हाल ही में जेल से रिहा हुये हैं।शिवहर में चुनाव प्रचार के दौरान राजद की ओर से लवली आनंद के बाहरी होने का मुद्दा भी उठाया जा रहा है ,लेकिन लवली आनंद इसे पूरी तरह नकारती हैं। 

वह कहती हैं कि उनके बेटे चेतन आनंद शिवहर सीट से विधायक हैं, उनके पति यहां से सांसद रहे हैं, ऐसे में उन्हें बाहरी कैसे कहा जा सकता है।वहीं राजद उम्मीदवार रितु जायसवाल शिवहर के पड़ोसी जिसे सीतामढ़ी की रहने वाली हैं। उन्हें भी बाहरी बताया जा रहा है।सीतामढ़ी जिले की दो विधानसभा सीटें बेलसंड और रीगा शिवहर लोकसभा सीट के तहत आती हैं, इसी आधार पर रितु जायसवाल खुद को बाहरी नहीं मानती हैं।

रितु जायसवाल के पति अरुण कुमार आईएएस अफसर रहे हैं। अरुण कुमार ने आईएएस सेवा से वीआरएस लेकर पंचायत का चुनाव लड़ा था और उन्हें चुनाव में जीत भी मिली थी।रितु जायसवाल 2016 में सीतामढ़ी के सिंहवाहिनी ग्राम पंचायत की मुखिया बनी थीं। रितु जायसवाल को 2018 में भारत के तत्कालीन उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चैंपियंस आफ चेंज के पुरस्कार से सम्मानित किया था। 

रितु जायसवाल ने 2020 में सीतामढ़ी की परिहार सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन तब उन्हें हार मिली थी। रितु जायसवाल राजद की महिला सेल की प्रदेश अध्यक्ष के अलावा प्रदेश प्रवक्ता पद पर भी रही हैं। इन बार के चुनाव में राजद को उम्मीद है कि मुसलमान-यादव के अलावा उसे वैश्य मतदाताओं का भी समर्थन मिलेगा। राजग शिवहर सीट पर लगातार तीन बार से कब्जा जमाये हुये है। राजग के सामने शिवहर सीट को बचाने की चुनौती है। 

माना जा रहा है कि राजग और इंडिया गठबंधन उम्मीदवार में कड़ी टक्कर होगी। रमा देवी वैश्य समुदाय से आती थीं, जो इस सीट के मतदाताओं का लगभग एक चौथाई हिस्सा हैं। यह समुदाय, जो परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति सहानुभूति रखता रहा है।2009 से लगातार चुनाव जीतने वाली भाजपा की नेता रमा देवी इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं। 

शिवहर सीट को जदयू को दिए जाने और गैर वैश्य बिरादरी का उम्मीदवार होने की वजह से वैश्य समुदाय के मतदाता नाराज दिखाई देते हैं। लवली आनंद कड़ी मेहनत कर रही हैं। गांव-गांव जा रही हैं। यह सुनिश्चित कर रही हैं कि वह सभी जातियों और समुदायों से वोट मांगें। लवली बाहरी होने के आरोपों का खंडन करती हैं और वैश्यों का समर्थन पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही हैं। 

उन्होंने कहा है हम बाहरी कैसे हैं? साथ ही यह पीएम चुनने का चुनाव है। कौन कहां से चुनाव लड़ेगा इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व करता है। हमें यह सीट दी गई है और हम मजबूती से लड़ेंगे। रितु जायसवाल ने शिवहर में अन्य मुद्दों के अलावा आनंद मोहन की बाहुबली छवि को भी मुद्दा बनाया है। उन्होंने कहा है कि इस बार का चुनाव असल में लोगों का गुरूर तोड़ने और हथियार ध्वस्त करने की लड़ाई है।

रितु जायसवाल दावा करती हैं, आप ज़मीनी स्तर पर देखेंगे तो शिवहर में कोई मुक़ाबला ही नहीं है। आनंद मोहन सिंह सज़ा काट कर निकले हैं। लोगों में आक्रोश है। लवली आनंद दो बार यहां से ज़मानत ज़ब्त करा चुकी हैं, मैंने पहले मुखिया के तौर पर काम किया है और मुझे उप-राष्ट्रपति तक ने सम्मानित किया है।लवली आनंद लंबे समय से कोई चुनाव नहीं जीत पाई हैं।

वहीं लवली आनंद दावा करती हैं, आनंद मोहन जी ने बहुत सी किताबें लिखी हैं, वह कलम बली हैं, बाहुबली नहीं हैं, जिनको जो कहना है कहें।आनंद मोहन ने हमेशा संघर्ष किया है, उनका और मेरा परिवार स्वतंत्रता सेनानियों का परिवार रहा है, जनता सब जानती है। शिवहर लोकसभा क्षेत्र में तीन जिलों का मिश्रण है। शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 

सीतामढ़ी में रीगा और बेलसंड। पूर्वी चंपारण में मधुबन, चिरैया और ढ़ाका, जबकि शिवहर जिले में शिवहर विधानसभा क्षेत्र शामिल है। मधुबन, चिरैया, ढ़ाका और रीगा में भाजपा का कब्जा है।शिवहर और बेलसंड में राजद का कब्जा है। हालांकि शिवहर के राजद विधायक चेतन आनंद अब बागी हो गये हैं। चेतन आनंद कुछ दिन पूर्व बिहार विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण के दौरान राजद को छोड़ राजग के खेमे में आ गये थे। 

शिवहर संसदीय सीट से जदयू, राजद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा),ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन समेत 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। शिवहर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 33 हजार 374 है। इनमें 09 लाख 68 हजार 462 पुरुष, 08 लाख 64 हजार 849 महिला और 63 थर्ड जेंडर हैं, सर्विस वोटर 1692 हैं। जो छठे चरण में 25 मई को होने वाले मतदान में इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। 

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