बरेली: साल भर के ही अंदर आठ गुना एनपीए...बैठते MSME,चौपट होते कृषि क्षेत्र की कहानी
जिले में इन्हीं दो क्षेत्रों में एनपीए हुआ सर्वाधिक ऋण, शहर के कई बड़े उद्योगपति और व्यापारिक घराने भी डिफाल्टरों में शामिल
बरेली, अमृत विचार। साल भर के अंदर जिले में एनपीए की धनराशि का आठ गुना बढ़ जाने को अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। वजह यह है कि सर्वाधिक ऋण एमएसएमई और कृषि क्षेत्र में एनपीए हुए हैं जिन पर सरकार का सबसे ज्यादा जोर है। बैंक अधिकारी इन दोनों क्षेत्रों में छाई अनिश्चितता को ऋणों की अदायगी न होने का कारण मान रहे हैं। मुद्रा लोन की भी बड़ी धनराशि एनपीए हुई है।
बैंकों की चिंता का एक प्रमुख कारण यह भी है कि शहर के कई बड़े उद्योगपतियों और व्यापारिक घराने भी डिफाल्टरों की सूची में शामिल हो गए हैं। इन लोगों ने काफी बड़ी धनराशि बतौर ऋण बैंकों से ली थी, लेकिन अदायगी नहीं की।
बैंक अधिकारी तो सीधे-सीधे कहने से बच रहे हैं लेकिन बाहरी अर्थ विशेषज्ञ दोनों सेक्टरों में अप्रत्याशित वृद्धि के साथ इतने बड़े पैमाने पर ऋण एनपीए होने को उनमें भारी गिरावट का स्पष्ट संकेत बता रहे हैं। इन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एनपीए की यह स्थिति सिर्फ बरेली में नहीं हो सकती। अगर पूरे प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों में भी इसी तरह से एनपीए बढ़ा है तो यह केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर भी बड़ी चिंता की बात होनी चाहिए।
एनपीए का सबसे ज्यादा बोझ एक्सिस बैंक पर आखिरी तिमाही में 1081 करोड़ रुपये हुए एनपीए
एनपीए हुए ऋण का जिले में सबसे ज्यादा बोझ एक्सिस बैंक पर पड़ा है। आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2023- 24 में इस बैंक के एनपीए में सबसे तेज वृद्धि हुई है। पहली तिमाही में एक्सिस बैंक की एनपीए धनराशि सिर्फ 92 लाख रुपये की थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 24.11 करोड़ रुपये पहुंच गई। तीसरी तिमाही में भी काफी मामूली वृद्धि हुई। इस तिमाही के अंत तक बैंक का एनपीए 26.10 करोड़ रुपये का था लेकिन चौथी तिमाही में ये 1081 करोड़ रुपये का एनपीए बढ़ा और कुल धनराशि 1107.76 करोड़ रुपये हो गई। एक्सिस बैंक के शाखा प्रबंधक विकल्प ने बताया कि एनपीए वृद्धि के बारे में सोमवार को ही कोई जानकारी दे पाएंगे।
बैंकिंग सेक्टर में बढ़ेगी अस्थिरता, निवेश के माहौल के साथ व्यापारिक गतिविधियां भी होंगी प्रभावित
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है गहरा दुष्प्रभाव
बैंक अधिकारियों के अनुसार एनपीए की यह स्थिति न सिर्फ बैंकिंग प्रणाली के लिए काफी चिंताजनक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी इसके गहरे दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। ऐसा पहली बार है कि 1,36,307 खाताधारकों की 2571 करोड़ की धनराशि एनपीए हुई है। शहर के कई बड़े उद्योगपतियों और व्यापारिक घरानों ने भी सरकारी योजनाओं के तहत बैंकों से भारी ऋण लिया था जिसे नहीं चुकाया। इससे बैंकिंग सेक्टर में अस्थिरता और अविश्वास बढ़ा है। यह स्थिति भविष्य में स्थानीय व्यापारिक गतिविधियों और निवेश के माहौल को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। तेजी से बढ़े एनपीए के कारण बैंकों ने नए ऋणों के आवंटन से हाथ खींचना शुरू कर दिया है।
ये हैं प्रमुख कारण
आर्थिक मंदी से उद्योग न खड़ा हो पाना।
कृषि क्षेत्र पर मौसम की अनिश्चितता की मार।
कुछ मामलों में धोखाधड़ी कर ऋण हड़पना।
कृषि, एमएसएमई एनपीए बढ़ने के प्रमुख कारण
व्यापारियों का दावा- आर्थिक मंदी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा से एमएसएमई बेबस
व्यापारियों ने बैंक अधिकारियों को एमएसएमई के लिए आवंटित ऋणों की अदायगी न होने का प्रमुख कारण आर्थिक मंदी और बढ़ी प्रतिस्पर्धा के दबाव को बताया है। उधर, एलडीएम वीके अरोरा का कहना है कि स्थिति से निपटने के लिए अब बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फंसे ऋणों की अदायगी कराने के उपाय खोजे जा रहे हैं। कर्ज की वसूली के लिए विशेष टीमों का गठन किए जाने और कर्जदारों के साथ पुनर्भुगतान की नई योजनाओं पर विचार किया जा रहा हैं। जिला प्रशासन भी बैंक प्रबंधन की मदद करेगा।
रिजर्व बैंक ने मांगी रिपोर्ट...संपतियां जब्त कर ऋण न चुकाने वालों को दिवालिया भी घोषित करेंगे बैंक
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से जिले में अप्रत्याशित रूप से बढ़े एनपीए के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ जिले में बैंक ऋण पुनर्गठन योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। बैंक अधिकारियों के अनुसार आरबीआई ने एनपीए खाताधारकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। ऋण न चुकाने वाले उद्योगपतियों और व्यापारियों की संपत्तियों को जब्त कर उन्हें दिवालिया घोषित करने जैसे कदम उठाए जाएंगे। उधर, जिला प्रशासन की ओर से अभी एनपीए पर बैंकों के साथ कोई समीक्षा बैठक नहीं की है। उम्मीद है कि चुनाव बाद यह बैठक हो सकती है और इसमें एनपीए को कम करने के लिए कुछ सख्त निर्णय लिए जा सकते हैं।
टॉप- 5 बैंकों का एनपीए
बैंक खाताधारक एनपीए राशि
एक्सिस बैंक 33,859 1107.76
पंजाब नेशनल बैंक 16,736 340.12
कैनरा बैंक 2,612 236.63
बैंक ऑफ बड़ौदा 14,323 186.71
बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक 14,897 112.81
एनपीए राशि करोड़ में
आर्थिक विकास की दर के साथ बाजार की मांग में गिरावट एमएसएमई के लिए बड़ी चुनौती
बरेली कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. शिखा सिंह का कहना है कि एमएसएमई क्षेत्र में इतने ज्यादा ऋणों के एनपीए होने के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य कारणों में व्यापार के दौरान आर्थिक विकास की दर में कमी हो सकती है जिसकी वजह से कंपनियों और व्यक्तियों की आय घटती है। इस कारण वे अपने कर्ज की समय पर अदायगी नहीं कर पाते। इसके अलावा वित्तीय प्रबंधन की कमजोरियां, बाजार की मांग में गिरावट और प्रतिस्पर्धा भी एनपीए बढ़ने के अलग-अलग कारण हैं। कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, श्रमशक्ति की उपलब्धता में कमी भी इसमें भूमिका निभाती है। कृषि क्षेत्रों में एनपीए बढ़ने के पीछे प्राकृतिक आपदाएं और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य न मिलना कारण हो सकता है। इससे उनकी आय में अस्थिरता पैदा होती है। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग और स्टोरेज की कमी जैसे कारण हो सकते हैं।
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