लखनऊः कम उम्र में ही बच्चों के लग रहे मोटे चश्में, मोबाइल से दूरी है जरूरी

लखनऊः कम उम्र में ही बच्चों के लग रहे मोटे चश्में, मोबाइल से दूरी है जरूरी

लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। आजकल 4 से 5 साल के बच्चों में धुंधला दिखने और दूर का दिखाई न देने की शिकायत अधिक मिल रही है। 

लखनऊ, अमुत विचारः आज के समय में बच्चे अधिकांश समय टीवी और मोबाइल पर बिताने लगे हैं। इसका नतीजा यह है कि अब छोटी-छोटी उम्र में ही बच्चों को मोटे-मोटे चश्मे लग जाते हैं। इसकी वजह कहीं न कहीं माता-पिता और घर वालों की लापरवाही है, जो छोटी उम्र में ही बच्चों का मोबाइल पकड़ा देते हैं। इसका असर यह हो चुका है कि कई बच्चों को 30 सेंटीमीटर तक की दूरी का दिखाई नहीं देता है. उनके माइनस तक के चश्मे लग रहे हैं। वहीं इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है बच्चों का असंतुलित खानपान. बच्चों को पोषक तत्वों वाले भोजन की जगह, जंग फूड पर ज्यादा ध्यान होता है. घर वाले भी उनकी यह जिद पूरी करने में लग जाते हैं। अपने शहर में भी ऐसे बच्चों की संख्या काफी हद तक बढ़ गई है। 

न्यूट्रीशियन की कमी
हमारी शरीर पर हमारे खाने-पीने का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। हम अपने खाने में कितना हेल्दी और पोषक तत्वों से भरी चीजें खा रहे हैं। हेल्दी लाइफ के लिए बैलेंस्ड खानापान बहुत जरूरी है। आजकल के बच्चे पिज्जा, नूडल्स, माइक्रोनी जैसी चीजों के चक्कर में रहते हैं। इसका सबसे बड़ा असर हमारी शरीर पर पड़ता हैं। यह जंग फूड हमारे शरीर को कमजोर बना देती हैं। बॉडी में वीटामिन और खनिज पदार्थों की कमी हो जाती है, जो बच्चों में कई तरह की बीमारियां तो बढ़ाता ही है साथ ही आंखों की समस्या भी बढ़ा रहा है। आंखों की समस्या से बचाने के लिए उनके आहार में गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों के साथ संतरा, पपीता और गाजर जैसी चीजों को भी शामिल करना चाहिए. इसके अलावा विटामिन-ए वाला दूध और अनाज, अंडे की जर्दी और मछली का तेल आदी चीजों का इस्तमाल करना चाहिए।

मोबाइल चलाने से नुकसान
बलरामपुर हॉस्पिटल के सीनियर आई सर्जन डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि मोबाइल फोन का सबसे ज्यादा असर आंखों पर होता है। आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन बच्चों सहित सभी के लिए मोबाइल जरूरी हो गया है। हालांकि मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से बच्चों की आंखों की रोशनी पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। मोबाइल से नीली रोशनी निकलती है, जो हमारे सेंसेज को एक्टिवेट करती है. लंबे समय तक नीली रोशनी के संपर्क में रहने से आंखों में तनाव, सूखापन और परेशानी हो सकती है। माता-पिता बच्चों को शोर न करने और कुछ समय बच्चों को बिजी रखने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं। इसके अलावा गलत ढंग से किताब पढ़ने से भी काफी नुकसान होता है। बच्चे फोन को चलाने के लिए किसी भी पोजीशन में बैठ जाते है. ऐसा करना उनके लिए हानिकारक होता है। वहीं कई बार बच्चों को चलती गाड़ी में पढ़ते देखा होगा। यह तरीका बिल्कुल गलत है. इसका सीधा असर हमारी आंखों पर पड़ता है। बच्चों को पढ़ाई करते समय 30 से 33 सेंटीमीटर की दूरी के साथ मोबाइल। बुक्स से दूरी बनाकर पढ़नी चाहिए। इसके अलावा पीठ सीधी करके बैठना चाहिए।

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मोबाइल से कितनी हो दूरी
डॉ. संजीव गुप्ता के अनुसार हमेशा एक निश्चित दूरी के साथ मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर सिस्टम का इस्तमाल करना चाहिए। आजकल बच्चे इसको मानते ही नहीं हैं। डॉक्टर ने बच्चों में बढ़ते मायोपिया (दूर की चीजें साफ न दिखना) की एक वजह बढ़ते स्क्रीन टाइम को ही बताया है। उन्होंने यह भी बताया कि जितनी छोटी स्क्रीन होगी, उतनी ज्यादा समस्या होगी।

20-20-20 का नियम करें फॉलो
आंखो को स्वस्थ्य रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जिससे आंखों को हेल्दी रखा जा सकें. डॉक्टर्स के अनुसार स्क्रीन के सामने पढ़ाई या कोई भी काम करते समय 20-20-20 का फॉर्मूला जरूर फॉलो करना चाहिए। सभी ने आंखों में ड्राइनेस की प्रॉब्लम फेस की होगी कि ज्यादा देर स्क्रीन पर टाइम बीताने के बाद ऐसा लगता है कि आंखे सूख सी गई है। इससे बचने के लिए 20-20-20 का रूल अप्लाई करना चाहिए यानी की 20 मिनट बाद स्क्रीन से 20 से नजर हटा कर 20 फुट दूर दूसरी तरफ आंखों में ड्राइनेस की समस्या नहीं होती.

स्क्रीन 18-20 डिग्री
स्क्रीन 18-20 यह गणित का कोई नियम नहीं है, बल्कि स्क्रीन की दूरी बनाने का सही एंगल है। इससे आंखों को प्रॉपर विजन एंगल मिल जाता है। मोबाइल या स्सिटम को 18 से 20 डिग्री के एंगल पर रखना चाहिए। इसका झुकाव नीचे की तरफ रखें। आंखों से दूरी 20 सेमी से ज्यादा होनी चाहिए। सीधे आंखों पर रिफ्लेक्शन होने से आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है और इसका सीधा असर हमारी आंखों की रेटिना पर पड़ता है।

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