आर्य समाज अनाथालय: 360 करोड़ की जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने के अंदेशों के बीच उठ रहे कई और सवाल

आर्य समाज अनाथालय: 360 करोड़ की जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने के अंदेशों के बीच उठ रहे कई और सवाल

बरेली, अमृत विचार। आर्य समाज अनाथालय की शहर के बीच करीब 360 करोड़ की जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने के अंदेशों के बीच कई और सवाल उठ रहे हैं। इन्हीं में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस व्यक्ति पर अनाथालय में ही कक्षा दो में पढ़ने वाली आठ साल की बच्ची को अपने कार्यालय में बुलाकर छेड़खानी करने का आरोप लगा, वह जेल से लौटकर आखिर कैसे दोबारा अनाथालय का प्रधान बन गया। 

यह सवाल इसलिए और गंभीर है, क्योंकि पहले तो पुलिस बच्ची से छेड़खानी के मामले में रिपोर्ट दर्ज करने में दो महीने तक टालमटोल करती रही, उसके बाद प्रबंध समिति के सदस्यों ने भी जेल से लौटे आरोपी प्रधान की बहाली पर चुप्पी साध ली।

आठ साल की बच्ची से छेड़खानी का मामला अगस्त 2023 का है। यह बच्ची बड़ी बहन के साथ अनाथालय में ही रहती थी। प्रधान ओमकार आर्य के उसे अपने कक्ष में बुलाकर अश्लील हरकतें करने की बात उसने सबसे पहले अपनी बहन को ही बताई थी। उसकी बहन ने इसकी शिकायत तत्कालीन वार्डन रोली दुबे से की। 

रोली दुबे ने उससे लिखित शिकायत लेने के बाद घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच समाजसेवी नीरज सैनी की जानकारी में मामला आया। उनके कहने पर पीड़ित बच्ची ने खुद 13 अगस्त 2023 को कोतवाली जाकर अपनी हैंडराइटिंग में लिखी तहरीर पुलिस को दी लेकिन इसके बाद भी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।

पीड़ित बच्ची को साथ लेकर उसकी बहन लगातार कोतवाली और बिहारीपुर पुलिस चौकी के चक्कर काटती रही। इसी बीच बच्ची प्रधान की अश्लील हरकतों के बारे में बच्ची से बातचीत का एक ऑडियो वायरल होने लगा। तब कहीं पुलिस इस मामले में गंभीर हुई। तत्कालीन सीओ श्वेता यादव ने बच्ची का बयान दर्ज करने के साथ अनाथालय की सीसीटीवी फुटेज चेक की। इस छानबीन में आरोपों की पुष्टि होने के बाद कहीं अनाथालय की वार्डन रोली दुबे की ओर से कोतवाली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत 14 अक्टूबर 2014 को आरोपी ओमकार आर्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे जेल भेजा था।

वैसे तो पुलिस का दावा है कि उसने बच्ची से छेड़खानी के मामले में ओमकार आर्य के विरुद्ध मजबूत चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन कुछ ही समय बाद ओमकार आर्य की जमानत पर रिहाई ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए। छेड़खानी के मामले में जेल जा चुके ओमकार आर्य के दोबारा अनाथालय के प्रधान पद पर काबिज होने का प्रबंध समिति में भी किसी ने विरोध नहीं किया। 

इसी के साथ 42 बीघा जमीन पर चल रहे आर्य समाज अनाथालय को बंद कर उसकी जगह गुरुकुल बनाने की योजना पर क्रियान्वयन की रफ्तार और तेज हो गई। कई बच्चों और कर्मचारियों के साथ रिपोर्ट लिखाने वाली वार्डन रोली दुबे को सबसे पहले निकालकर बाहर कर दिया गया।

लड़कियों लिखो- सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारी खुद की होगी
अनाथालय में रह रही लड़कियों को अस्थाई कर्मचारी दिखाकर कराया गया एग्रीमेंट
आर्य समाज अनाथालय में बाकी बची तीन लड़कियों को 30 जून तक बाहर निकालने के लिए उनसे जो एग्रीमेंट कराया गया है, उसकी भाषा और शर्तें भी काफी आपत्तिजनक है। इस एग्रीमेंट में लड़कियों को संवासी के बजाय अस्थाई कर्मचारी दिखाया गया है। उनसे लिखवाया गया है कि अनाथालय में रहने तक वे अपनी सुरक्षा की खुद जिम्मेदार होंगी और प्रबंधन उनका कोई खर्च देने के लिए भी बाध्य नहीं होगा।

एग्रीमेंट में दिखाया गया है कि प्रबंधन ने कथित अस्थाई कर्मचारी लड़कियों को 29 फरवरी 2024 को कार्यमुक्त कर दिया है जो उन्होंने स्वीकार कर लिया है। दूसरे बिंदु में लड़कियों की ओर से यह कहते हुए कुछ समय के लिए अनाथालय में रहने की इजाजत मांगी गई है कि उनके पास अभी आवास की व्यवस्था नहीं है।

कहा गया है कि यह इजाजत अनुग्रह के तौर पर दी जा रही है और इस पर उनका कोई अधिकार नहीं है। तय तिथि के बाद यह अनुमति स्वत: समाप्त हो जाएगी और वे अनाथालय के आवास खाली कर देंगी। प्रबंधन की ओर से कोई धनराशि इस बीच उन्हें देय नहीं होगी।

एग्रीमेंट में यह भी बाध्यता लागू की गई है कि लड़कियों को अपना व्यवहार और रहन-सहन कमेटी के प्रधान, मंत्री और पदाधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक रखना होगा। अनाथालय के बालिका वर्ग में चल रहे पुनर्निर्माण के काम और इसके लिए बाहरी लोगों के आने-जाने पर वे कोई आपत्ति नहीं करेंगी। उनकी सुरक्षा और खर्च की जिम्मेदारी भी पूरी तरह उन्हीं की होगी।

आर्य समाज के कुछ मुख्य नियम
सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए। संसार का उपकार आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है। सबसे प्रीति पूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य व्यवहार होना चाहिए। सिर्फ अपनी उन्नति के बजाय सभी की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए।

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