पंतनगर: शारदीय नवरात्रि कल से, बन रहा हस्त नक्षत्र, इंद्र योग एवं बुधादित्य योग

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Published By Bhupesh Kanaujia
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पंतनगर, अमृत विचार। तीन अक्तूबर से शरद नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र का प्रारंभ होता हैं। जगत कल्याण के लिए आदिशक्ति ने अपने तेज को नौ स्वरूपों में प्रकट किया, जिन्हें नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्र में मां दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों की उपासना की जाती है।

ज्योतिषाचार्य डाॅ. मंजू जोशी ने बताया शारदीय नवरात्रि पर हस्त नक्षत्र, इंद्र योग एवं बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। शरद नवरात्र के पहले दिन गुरुवार होने के कारण देवी दुर्गा पृथ्वी लोक में पालकी पर सवार होकर आएंगी। धार्मिक मान्यतानुसार यदि नवरात्र पर देवी दुर्गा पालकी पर सवार होकर आती हैं, तो यह भक्तों के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता। इससे देश-विदेश में अनेक घटनाएं देखने को मिलेंगी। साथ ही आर्थिक मंदी रहेगी और व्यापार में गिरावट देखने को मिलेगी। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना सभी को करना पड़ सकता है। अतः देवी दुर्गा का पालकी पर आगमन शुभ संकेत नहीं है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना विधि
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त बृहस्पतिवार को प्रातः 6.14 से 07.23 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11.46 से 12.33 बजे तक है। नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के बाद पूरे घर व पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। घी या तिल के तेल से नौ दिनों तक अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। चैकी पर लाल आसन बिछाएं व आसन के उपर थोड़े चावल रखें और एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं। इस पात्र पर स्वास्तिक बना व जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर नौ आम के पत्ते रखें। नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध लें और उसे कलश के ऊपर रखते हुए मां दुर्गा का आवाह्रन करें।

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