Prayagraj News : जिला न्यायाधीशों को पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर सावधानीपूर्वक विचार करने का निर्देश

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत एक मामले पर विचार करते समय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कानपुर नगर द्वारा एक मामले से निपटने के ढंग की आलोचना करते हुए कहा कि एक अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश से यह अपेक्षा की जाती है कि वह न केवल उठाए गए मुद्दों पर अपने न्यायिक विवेक का प्रयोग करें, बल्कि संबंधित पक्षों की ओर से प्रस्तुत तर्कों पर भी सावधानीपूर्वक विचार करें, जिससे ऐसे निष्कर्षों पर पहुंचा सके, जो ऐसे न्यायिक अधिकारी के विविध और व्यापक अनुभव के साथ एक ठोस न्यायिक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करे।

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि जहां अपील का उपाय विशेष रूप से उपलब्ध नहीं है, वहां पुनरीक्षण को अपील के रूप में माना जाना चाहिए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने श्रीमती मुन्नी देवी की पुनरीक्षण को खारिज करने के आदेश को रद्द करते हुए पारित किया और मामले में यथोचित आदेश पारित करने के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पास वापस भेज दिया गया।

न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल को इस आदेश को सभी न्यायाधीशों तक प्रसारित करने का निर्देश दिया। दरअसल याची ने लघु वाद न्यायालय द्वारा उसकी पुनरीक्षण याचिका को इस आधार पर खारिज करने के आदेश को चुनौती दी कि न्यायालय ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज करने से पहले पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर विचार नहीं किया।

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