विश्व टीबी दिवस कल : संक्रमित मरीजों के लिए मसीहा बना KGMU का यह युवा, 40 दिन में 72 बीमार लोगों को ले चुके हैं गोद
Virendra Pandey, Lucknow : हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। यह दिन बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने और संक्रमित जरूरतमंद की मदद करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही टीबी नियंत्रण करने की दिशा में प्राप्त की गई उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। ऐसे में इस अवसर पर उस शख्स की बात, जिसके अंदर टीबी मरीजों की मदद करने का उत्साह गजब का है। इतना ही नहीं, इस युवा शख्स का कार्य न सिर्फ गरीब मरीजों के लिए संजीवनी है बल्कि कई जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदारों के लिए नजीर भी।
हम बात कर रहे हैं किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के उप नर्सिंग अधीक्षक प्रदीप गंगवार की। 11 फरवरी 2025 को प्रदीप गंगवार ने लखनऊ को टीबी मुक्त करने का अभियान शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले टीबी से पीड़ित तीन गरीब मरीजों को गोद लिया था, लेकिन महज 40 दिन में मरीजों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है। इसके लिए प्रदीप गंगवार को अपने वेतन का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है। हालांकि इस काम में विकास वर्मा, मधुलिका सिंह, अनिता राठौर, नरेंद्र मौर्य, अनूप कुमार, मोहिनी और संतोष का सहयोग काफी अहम माना जा रहा है।
प्रदीप गंगवार की तरफ से टीबी मरीजों को प्रति माह पोषक आहार की एक पोटली बनाकर वितरित की जाती है, जिसमें गुड़, चना, मूँगफली, सोयाबीन, मखाना, दलिया, तिल का लड्डू, अंडा, सत्तू रहता है। हाई प्रोटीन युक्त पदार्थ प्रचुर मात्रा में रहते हैं। इसके साथ ही जांच और इलाज में मदद का कार्य भी लगातार जारी रहता है। अंतर्राष्ट्रीय टीबी दिवस तक प्रदीप गंगवार का लक्ष्य 101 टीबी के मरीज गोद लेने का है, जिससे लखनऊ को टीबी मुक्त किया जा सके।
मित्र से बड़ा कोई रिश्ता नहीं
प्रदीप गंगवार बताते हैं कि टीबी मरीजों को गोद लेने का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। श्री गंगवार का कहना है कि मित्र से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए निक्षय मित्र बनकर मैं लखनऊ को टीबी मुक्त कराने में पूरी इच्छाशक्ति से लगा रहूंगा।
प्रदीप गंगवार की हो रही प्रशंसा
बताया जा रहा है कि प्रदेश के किसी भी चिकित्सा संस्थान, अस्पताल या किसी अन्य सरकारी व निजी संस्थान के सरकारी सेवक द्वारा इतनी बड़ी संख्या में अभी तक टीबी मरीजों को गोद नहीं लिया गया है, लेकिन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बतौर उप नर्सिंग अधीक्षक के पद पर कार्यरत प्रदीप गंगवार ने इतनी बड़ी संख्या में टीबी मरीजों को गोद लेकर जो उदाहरण पेश किया है, उसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है।

संकल्प लेने की यह रही वजह
प्रदीप गंगवार करीब 15 साल पहले केजीएमयू में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में तैनात हुए थे, उस समय उनकी तैनाती पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में ही थी, जहां पर टीबी रोगियों का इलाज किया जाता था। मरीजों के इलाज के दौरान वह भी टीबी से ग्रसित हो गए। हालांकि उन्हें समय पर अपने रोग की जानकारी हो गई और उन्होंने इलाज शुरू कर दिया, लेकिन इलाज के दौरान उन्हें एक महीने तक शारीरिक कमजोरी महसूस की। वह बताते हैं कि उन्हें एक अच्छा वेतन मिलता है, तो वह अपना खान-पान बेहतर रख सके और ठीक हो गए, लेकिन बहुत से मरीज ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं, वह पोषण युक्त भोजन कहां से कर पाएंगे। मरीजों की इस परेशानी को देखते हुए उन्होंने इस मुहिम को शुरू करने का फैसला लिया है।
डिप्टी सीएम ने कही यह बात
लखनऊ को टीबी मुक्त करने की कोशिश में जुटे प्रदीप गंगवार की तारीफ सरकार और जनता के प्रतिनिधि भी कर रहे हैं। इस कार्य के लिए विधायक डॉ. नीरज बोरा और पार्षद अभिलाषा कटियार ने उन्हें सम्मानित भी किया है। इतना ही नहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी टीबी मुक्त लखनऊ करने के कार्य में पूरा सहयोग करने का आश्वासन उन्हें दिया था।
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