Raksha Bandhan 2025: बाजारीकरण के दौर में अब रक्षासूत्र भी किसी से कम नहीं, रिटर्न गिफ्ट बने ठोस चांदी के मेवा और मिष्ठान

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार: याद कीजिए करीब डेढ़ से दो दशक पहले का वक्त जब रक्षाबंधन पर्व पर बहनें सूती, रेशमी धागों और गजरों से अपने भाइयों की कलाई भरकर उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती थीं। शनै: शनै: इसमें बदलाव होता गया। बाजारीकरण के युग में त्यौहार पर हावी होते व्यापार ने इनमें व्यापक बदलाव ला दिया है। साल-दर-साल बढ़ते कारोबार ने राखी बाजार को भी नई स्टाइलिस्ट राखियों से भर दिया है। 

रेशमी और सूती धागों से निकलकर अब राखी सोने-चांदी और स्टोन के ब्रेसलेट तक पहुंच गई। धनाड्य वर्ग ने सोने-चांदी की राखियों का इस्तेमाल शु़रू किया तो मध्यम और छोटे वर्ग के लोग भी पीछे नहीं रहे। स्टोनयुक्त ब्रेसलेट बाजार में लोगों की पसंदीदा राखी बन चुके हैं। कीमत ज्यादा न होने और सालभर कलाई में बंध भरोसे का यह रक्षासूत्र काफी पापुलर हो गए हैं। और तो और रिटर्न गिफ्ट के चलन ने बाजार को और गति दे दी है।

पूरे साल बहन से प्रेम का इजहार

बुलियन के स्टेट हेड अनुराग रस्तोगी कहते हैं कि परंपरागत चीजें भी बाजारीकरण के इस युग में स्टाइलिस्ट रूप ले चुकी हैं। पहले सूती और रेशमी राखियों का चलन था। ऐसा नहीं है कि यह बंद हो गई हैं। अब यह अपग्रेड होकर डिजाइनर रक्षासूत्र के रूप में बाजार में आ गई हैं। बाजारीकरण के इस दौर में यह समय अब ''पूरे साल बहन के प्यार को सहेजने'' वाला बन गया है। यही वजह है कि स्टोनयुक्त ब्रेसलेट अब पूरे साल भाईयों की कलाई पर सजे नजर आएंगे। कह सकते हैं कि अब यह ब्रेसलेट राखी ज्वेलरी सरीखी हो गई है।

रिटर्न गिफ्ट बने ठोस चांदी के मेवा और मिष्ठान

बहनें भाई को राखियां बांधकर उनसे रक्षा का संकल्प लेती थीं और भाई उन्हें सगुन के तौर पर कुछ न कुछ देता था। लेकिन अब बहनें भी भाइयों को देने के लिए रिटर्न गिफ्ट खरीद रहीं है। इसमें ढाई से तीन हजार का चांदी का मेवा (काजू, छुहारा, बादाम आदि) ले रही हैं। चौक के कारोबारी सिद्धार्थ और अमृत जैन बताते हैं कि ठोस चांदी की इमरती 10 हजार की है तो 7 हजार की जलेबी है। यह अलबेली मिठाईयां भाई सहेज कर रखेंगे। यही नहीं सोने चांदी रत्नजड़ित आकर्षक राखियों भी बाजार में हैं। सोने और चांदी के ब्रेसलेट में चमकते हीरे और स्टोन मध्यम और धनाड्य लोगों की पसंद में है। चांदी की हल्की राखी की कीमत 2,000 से शुरू होकर 10,000 रुपये तक है। वहीं सोने में रत्नजड़ित राखियों की कीमत 25,000 से 1,00,000 रुपये तक है। हीरे के साथ स्वर्ण ब्रेसलेट तैयार किए जाने के आर्डर भी मिल रहे हैं।

आमजनों की राखियों का बाजार भी कमतर नहीं

बाजारों में डिजाइनर रक्षासूत्रों की भरमार है। अमेरिकन डायमंड और ऊं वाली पोत राखी हो या फिर बच्चों के लिए कडे़ और कलाई पर बांधी जाने वाली ''स्पिन रियल टाइम वाच'' के सबसे ज्यादा खरीदार हैं। कपल राखी एक डिब्बे में है। इसी के साथ दो छोटी आकर्षक शीशियों में रोली और अक्षत भी है। बच्चों की कलाई के लिए इलेक्ट्रानिक घड़ी रूपी राखी है। इसकी कीमत दो सौ रुपये है। इसमें समय तो आता ही है म्यूजिक के साथ इनसे रंग-बिरंगी लाइट जलती है। कलाई पर घड़ी के डॉयल का हिस्सा घूमता रहता है।

 इसके अलावा पजल गेम के भी आइटम हैं। बच्चों की टेडी राखी, मोटू-पतलू, छोटा भीम, डोरेमान जैसी पुराने स्टाइल वाली राखियां भी हैं। बच्चों की कलाई लटकन और कड़े भी डिजाइनर हैं। वहीं देशी सूती और रेशमी डोरी वाली राखियां भी किसी से कमतर नहीं हैं। डिजाइनर सूती और रेशमी राखियां भी हैं। दोनों ओर धागों में पिरोई गई इस राखी में रंग-बिरंगे स्टोन हैं जो घड़ी का लुक दे रहे हैं। इनकी कीमत 40 रुपये दर्जन के आसपास है।

वैज्ञानिक भी पीछे नहीं, तैयार की सुगंधित राखी

वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों भी पीछे नहीं हैं। फूलों और पौधों से सुगंधित और पर्यावरण मित्र के तौर पर जैविक राखी तैयार की है। सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक डॉ. एके शासनी बताते हैं कि यह राखी फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल है जिसकी कीमत ज्यादा नहीं है। महज 50 रुपए में यह उपलब्ध हो जाएगी। फूलों और पौधों से ग्रामीण महिलाओं के हाथों से तैयार इन राखियों को खरीदने के लिए आपको पहले आर्डर बुक करना होगा। बुकिंग के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के बिक्री अनुभाग पर 0522-2297970 फोन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

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