मिड डे मील पर गहराया बजट का संकट, स्कूलों में उधारी लेकर काम चला रहे शिक्षक
गोंडा, अमृत विचार: परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों के मध्यान्ह भोजन के लिए सरकार के पास बजट नहीं रह गया है। अप्रैल से स्कूलों को एमडीएम के लिए कन्वर्जन कॉस्ट नहीं मिली है। शिक्षक किसी तरह उधारी लेकर योजना को संचालित करने पर विवश हैं, लेकिन अब दुकानदार भी उधार देने में आनाकानी करने लगे हैं। बजट के अभाव में यह योजना बंदी के कगार पर पहुंच गयी है। शिक्षक संगठनों ने कई बार इस संबंध में कई बार खंड शिक्षा अधिकारी, डीसी एमडीएम व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा लेकिन बजट की व्यवस्था नहीं हो सकी।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद त्रिपाठी का कहना है कि पिछले चार महीने से स्कूलों को एमडीएम के लिए पैसा नहीं मिला है। शिक्षक दुकानदारों से उधार सामान लेकर योजना का संचालन कर रहे हैं और बच्चों को एमडीएम उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन अब दुकानदारों भी उधार देने की स्थिति में नहीं है। अगर जल्द बजट नहीं मिला तो स्कूलों में एमडीएम बनना बंद हो जायेगा।
तीन लाख बच्चे प्रतिदिन खाते हैं मध्यान्ह भोजन
जिले के 2509 परिषदीय व 28 सहायता प्राप्त स्कूलों में करीब 3 लाख से अधिक बच्चे पढाई कर रहे हैं। इन बच्चे को स्कूल में प्रतिदिन दोपहर का भोजन दिया जाता है। हर दिन का मेन्यू भी तय है। सोमवार को फल और बुधवार को बच्चों को दूध भी देने का निर्देश है लेकिन पैसे के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा है।
मई तक थी 4.27 करोड़ की दरकार, मिले सिर्फ 1.83 करोड़
अमृत विचार: एमडीएम जिला समन्वयक गणेश गुप्ता का कहना है कि अप्रैल और मई महीने के एम डी एम के लिए 4.27 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी गयी थी लेकिन शासन से 1.83 करोड़ रुपये ही मिले हैं। इसे दो तीन दिन में स्कूलों के एमडीएम खाते में भेज दिया जायेगा। जुलाई और अगस्त के बजट का अभी गणना नहीं हो सकी है। जल्द ही इसे भी तैयार कर बजट की डिमांड कि जायेगी।
एमडीएम के लिए 1.83 करोड़ का बजट मिला है। पत्रावली पर जिलाधिकारी की स्वीकृति भी मिल गयी है। लेखाधिकारी की गैर मौजूदगी से धनराशि ट्रांसफर नहीं हो सकी है। लेखाधिकारी के आते ही उपलब्ध बजट के सापेक्ष कन्वर्जन कास्ट की धनराशि स्कूलों के एमडीएम खाते में भेज दी जायेगी।- अतुल तिवारी, बीएसए
