पंचायत चुनाव से पहले अनुपूरक बजट लाने की तैयारी, 15 दिसंबर से शुरू हो सकता है यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होने की संभावना है। पंचायत चुनाव से पहले अनुपूरक बजट, अध्यादेशों पर विधेयक, ग्रामीण विकास को लेकर घोषणाएँ और संभल हिंसा रिपोर्ट जैसे विषयों को देखते हुए शीतकालीन सत्र भले ही छोटा हो, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से बेहद अहम रहने वाला है।
सरकार ने सत्र की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इस बार सत्र की अवधि सीमित रहने की उम्मीद है। पिछले वर्ष भी शीतकालीन सत्र केवल चार दिनों तक चला था। आगामी पंचायत चुनाव को देखते हुए सरकार इस सत्र में अनुपूरक बजट पेश करने की तैयारी में है। अनुपूरक बजट में ग्रामीण विकास, स्वच्छ पेयजल, आवास, सड़क निर्माण जैसी योजनाओं पर अधिक संसाधन दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही पंचायत स्तर पर रोजगार बढ़ाने, महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने और डिजिटल पंचायत जैसी पहलों को शामिल किए जाने की संभावना है। सरकार का प्रयास पंचायत चुनाव से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का संदेश देना है।शीतकालीन सत्र का पहला दिन दिवंगत जनप्रतिनिधियों के प्रति शोक प्रस्ताव के साथ शुरू होने की संभावना है। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट के सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन 20 नवंबर को हुआ था। परंपरानुसार, पहला दिन शोक व्यक्त करने के बाद स्थगित कर दिया जाएगा।
आठ अध्यादेशों पर सरकार लाई विधेयक
मानसून सत्र के बाद से अब तक प्रदेश सरकार कुल आठ अध्यादेश जारी कर चुकी है। सरकार शीतकालीन सत्र में इन अध्यादेशों से जुड़े विधेयक पेश कर सकती है। ये अध्यादेश हैं उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय, चतुर्थ और पंचम संशोधन) अध्यादेश, उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रविधानों का संशोधन) अध्यादेश, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश और उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश। सूत्रों के मुताबिक, कुछ नए विधेयक और संकल्प भी सत्र में लाए जा सकते हैं।
संभल हिंसा की जांच रिपोर्ट भी आ सकती है सदन में
नवंबर 2024 में संभल में हुई हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट भी इस सत्र में पेश की जा सकती है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग ने यह रिपोर्ट कुछ माह पहले मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। उम्मीद है कि सरकार इसे सदन में प्रस्तुत कर सकती है।
