बाराबंकी : यूनिवर्सिटी में हंगामा और धक्कामुक्की, विवाद जस का तस, बहाना अटेंडेन्स का, असल मुद्दा एडवांस फीस

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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कार्यालय संवाददाता, बाराबंकी, अमृत विचार : एसआरमयू में एडवांस फीस को लेकर चल रहा विवाद जोरदार हंगामे में बदल गया। शुक्रवार को नारेबाजी हुई तो यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से धक्कमुक्की भी। यहां तक हालात पर काबू के लिए बाउंसर बुलाए गए। इस बीच प्रशासनिक व पुलिस अफसरों की मौजूदगी में हाजिर हुए कुलपति ने दस दिसंबर तक मौका देकर भले ही दो ऑफर दिए हों पर न विवाद थमा है और न ही मुद्दा हल हुआ। छात्रों में नाराजगी कायम है और भीतर ही भीतर यूनिवर्सिटी के खुद के बनाए नियमों के प्रति आक्रोश भी। छात्रों ने जो कहा, उसे भी नकारा जाना बेहद मुश्किल है। इस बीच यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों की कम अटेंडेंस का नया पेंच भी मामले में जोड़ दिया।

गुरुवार को एडवांस फीस जमा करने को लेकर शुरु हुआ विवाद लगातार दूसरे दिन जारी रहा। शुक्रवार को सुबह से जमे सैकड़ों छात्र छात्राओं ने हंगामा किया, मुर्दाबाद के नारे लगाए और अपनी बात उचित फोरम पर रखने की पूरी कोशिश की। इस बीच धक्का मुक्की भी हुई। यहां अध्ययनरत छात्र, छात्राओं ने स्पष्ट रूप से यूनिवर्सिटी प्रशासन पर फीस व कम अटेंडेंस के नाम पर अत्याचार व मनमानी का आरोप मढ़ा, बताया कि फाइन पर फाइन लिया जा रहा। जो परीक्षा हुई ही नहीं उसकी फीस एडवांस जमा कराना नियम विपरीत है। मामूली बात पर फाइन लिया जा रहा। छात्र छात्राएं अपनी बात कहना चाहें तो सुनने को एचओडी, रजिस्ट्रार, डीन, सब रजिस्ट्रार से लेकर कोई तैयार नहीं। यहां के छात्र सौभाग्य तिवारी ने बताया कि उसकी उपस्थिति 77 प्रतिशत है, फिर भी उसे एडमिट कार्ड नहीं दिया गया।

वहीं यश्मित श्रीवास्तव, सौम्या आदि ने बताया कि कॉलेज ने बाउंसर बुला रखे हैं जो छात्रों से मारपीट कर रहे। परिसर में भय का माहौल तैयार किया जा रहा है। शुक्रवार को दिनभर हुआ हंगामा व विवाद बढ़ता देख आखिरकार कुलपति प्रो. (डॉ.) विजय तिवारी को आना ही पड़ा। सैकड़ों छात्रों के समक्ष कुलपति आए और कहा कि दस दिसंबर तक का मौका दिया जा रहा। बकाया फीस जमा कर दिए जाने पर जिनकी परीक्षा दस से पहले है उन्हें एडमिट कार्ड से छूट रहेगी और जिनकी बाद में है, उन्हे कार्ड जारी कर दिया जाएगा। इस दौरान सीओ सिटी संगम कुमार, तहसीलदार भूपेन्द्र विक्रम सिंह आदि मौजूद रहे।

यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार नीरजा जिंदल ने यह खुलासा किया कि कई अभिभावकों ने फीस दे दी है पर बच्चों ने जमा नहीं की। कई बच्चों की अटेंडेंस भी महज 30 34 प्रतिशत ही है। यूनिवर्सिटी में सिस्टम जेनरेटेड है, उसी के तहत काम हो रहा है। हालांकि नीरजा जिंदल ने गुरुवार को महज दो शिकायतें आने की बात कही थी। लेकिन रजिस्ट्रार ने शुक्रवार को माना कि यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी शर्तों का फार्म सैकड़ों बच्चों में बांटे गए हैं। जिसपर छात्र हस्ताक्षर करके देंगे, तभी यूनिवर्सिटी प्रशासन उनकी बात मानेगा। वह यूनिवर्सिटी के नियम कायदों का हवाला देती रहीं।  

यूनिवर्सिटी प्रशासन भले ही कहे कि विवाद थम गया है पर ऐसी नहीं है। विवाद कम अटेंडेन्स व फीस को लेकर है, तो क्या फीस जमा कर देने वाले को अटेंडेन्स की कमी माफ कर दी जाएगी। उसे परीक्षा देने की छूट रहेगी। ऐसा नही है, कुल मिलाकर लफड़ा एडवांस फीस का है, जिसके जमा होते ही सारे विवाद थम जाएंगे लेकिन न जमा होने की दशा में बच्चों की परीक्षा छूटनी तय है।

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