मथुरा के मांट रेंजर निलंबित, कई रेंज संदेह के घेरे में... पौधारोपण में लापरवाही और घोटाले की परतें खुलीं
लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए चलाए जा रहे बड़े पौधारोपण अभियान में गड़बड़ियों का सिलसिला खुलने लगा है। शासन को भेजी गई रिपोर्टों में कई रेंजों में पौधारोपण के दावे झूठे पाए गए हैं और जमीन पर पौधों की संख्या बेहद कम मिली है। सबसे गंभीर मामला मथुरा के मांट रेंज में सामने आया, जहाँ 12,500 पौधों के रोपण का दावा था, पर निरीक्षण में कुछ सौ पौधे ही जीवित मिले। औचक जांच में सामने आए तथ्यों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए मांट रेंजर बुद्धप्रिय गौतम को निलंबित किया गया है। संबंधित एसडीओ को भी हटाया गया है।
वन मंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना के निरीक्षण में पता चला कि कई स्थानों पर गड्ढे तो खोदे गए, लेकिन पौधे लगाए ही नहीं गए। जहाँ लगाए गए, वहाँ संरक्षण और सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं मिल सकी। पौधारोपण की वास्तविकता और रिपोर्ट में भारी अंतर मिलने के बाद विभागीय स्तर पर जांच समिति गठित की गई है। समिति खर्च, पौधों की संख्या, जीवितता दर और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी।
सूत्रों के अनुसार यह मामला सिर्फ एक रेंज तक सीमित नहीं रहेगा। कई जिलों से मिली रिपोर्टों में भी बड़े स्तर पर अनियमितताओं के संकेत हैं। शासन अब सभी पौधारोपण स्थलों की थर्ड पार्टी सर्वे कराने पर विचार कर रहा है। वन मंत्री ने विभाग को स्पष्ट चेतावनी दी है कि कागज़ी पौधारोपण स्वीकार नहीं किया जाएगा और फर्जीवाड़ा सामने आने पर तत्काल निलंबन व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मथुरा की घटना ने पूरे प्रदेश के पौधारोपण अभियानों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जीवितता दर बढ़ाने और निगरानी प्रणाली मजबूत करने के लिए नए निर्देश जल्द जारी किए जा सकते हैं।
मांट रेंज में बड़ा फर्जीवाड़ा
• दावा: 12,500 पौधे लगाए गए
• मिला: कुछ सौ पौधे ही जीवित
• कई स्थानों पर पौधे लगाए ही नहीं गए
• संरक्षण व सिंचाई की व्यवस्था पूरी तरह नदारद
• रेंजर निलंबित, एसडीओ हटाए गए
प्रदेशभर में होगी जांच
• कई रेंजों की रिपोर्टों में गड़बड़ियों के संकेत
• पौधारोपण के नाम पर बजट खर्च की जांच
• थर्ड पार्टी इवैल्यूएशन लागू करने की तैयारी
• फोटो जियो-टैगिंग और मास सर्वे अनिवार्य करने की योजना
• फर्जी रिपोर्टिंग पर तत्काल निलंबन और प्राथमिकी के निर्देश
